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दोस्ती की भीख मांग रहा पाकिस्तान, नवाज अचानक क्यों बनने लगे शरीफ? पुराने बयान अभी के दावों से नहीं मेल खाते

भारत से दुश्मनी मोल लेते-लेते पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान सियासी कंगाली भी झेल रहा है। अब इस वक़्त पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को स्थिर सरकार के लिए भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की याद आ रही है। नवाज शरीफ को पीएम मोदी के नाम पर सत्ता में वापसी की गारंटी पाकिस्तान में दिख रही है। नवाज शरीफ कारगिल याद दिला करके खुद को भारत का सगा बताने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर नवाज शरीफ चौथी बार पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम बनने का ख्वाब देख रहे हैं। 

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शरीफ को क्यों याद आए मोदी?
पाकिस्तान वापसी के बाद नवाज आम चुनावों की तैयारियों में जोर-शोर से जुट गए हैं। तीन बार पाकिस्तान की हुकूमत चलाने के बाद बेदखल किये गए नवाज शरीफ अब मोदी के नाम की गारंटी जनता को दो रहे हैं। नवाज को 24 की राह मोदी के नाम से ही मुमकिन दिख रही है। यही वजह है कि वो भारत के साथ बिगड़े रिश्तों से खुद को पाक-साफ बताने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ कि कारगिल युद्ध के 24 साल बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने इसको लेकर भी दावा किया। 
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि हमारे दौर में भारत के दो वजीर ए आजम पाकिस्तान में आये। मोदी साहब और अटल बिहारी जी आये। ऐसा पहले कब हुआ था। कारगिल युद्ध की खिलाफत के बदले उन्हें तख्तापलट झेलना पड़ा। शरीफ ने कहा की हर दफा हमें निकाल दिया गया। हमें क्यों निकाल दिया गया? कम से कम मुझे पता लगना चाहिए। 1993 और 1999 में मुझे क्यों निकाला गया। हमने माहौल को सही से संभाला और ये कहा कि ये कारगिल में लड़ाई नहीं होनी चाहिए। इसलिए मुझे निकाल दिया गया? 

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पुराने बयान अभी के दावों से नहीं मेल खाते 
कारगिल का जिक्र कर नवाज ने कई मौकों पर खुद को युद्ध का विरोधी बताने की कोशिश की है। लेकिन नवाज के पुराने बयान नए दावों से मेल नहीं खाते हैं। 2020 में नवाज शरीफ ने कहा कि उन्हें कारगिल युद्ध की जानकारी ही नहीं थी और इसके लिए तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ को इसके लिए जिम्मेदार बताया था। वहीं अब कहा कि युद्ध का पता था लेकिन विरोध किया तो पद से हाथ धोना पड़ा। 
नवाज के बयान के मायने
2024 में पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं उससे पहले नवाज के इन बयानों के कई मायने हैं नवाज जानते हैं कि भारत से दुश्मनी उनकी सियासी पारी के लिए ठीक नहीं है। इसलिये वो मोदी-मोदी नाम की माला जपने लगे हैं। नवाज जानते है कि दुनियाभर में लोकप्रिय मोदी से नजदीकी ही उनके सियासी सफर में मैजिक कर सकती है। नवाज को भरोसा है कि भारत से संबंध अच्छे हुए तो पाकिस्तान की छवि दुनियाभर में सुधरेगी। 

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