पाकिस्तान में हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं और देश गृह युद्ध की ओर बढ़ता दिख रहा है। पाकिस्तान में अब लड़ाई सियासी नहीं रही है बल्कि इसमें सेना भी कूद पड़ी है। इमरान खान और शहबाज शरीफ की पार्टियों के समर्थक ही आपस में नहीं भिड़े हुए हैं बल्कि सेना ने भी इमरान समर्थकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिस तरह से लोग एक दूसरे से भिड़ रहे हैं, सेना के अधिकारियों के घरों में लूटपाट और तोड़फोड़ हो रही है, मॉल और बाजार लूटे जा रहे हैं, विपक्षी नेता गिरफ्तार किये जा रहे हैं उस सबसे प्रदर्शित हो रहा है कि पाकिस्तान अब अराजक स्थिति में पहुँच चुका है। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के घर में तोड़फोड़ और आगजनी से यह सवाल भी खड़ा होता है कि जब प्रधानमंत्री का ही घर सुरक्षित नहीं है तो बाकी देश का क्या हाल होगा? इस सबके बीच दुनिया भर के देश पाकिस्तान के हालात पर नजर बनाये हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देश में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर अधिकारियों से उचित प्रक्रिया का सम्मान करने और सभी पक्षों से हिंसा से परहेज करने का आह्वान किया। बताया यह भी जा रहा है कि पाकिस्तान में बिगड़े हालात को देखते हुए पाकिस्तान तहरीक ए तालिबान आतंकी हमलों की संख्या बढ़ाने और सत्ता प्रतिष्ठान पर कब्जा करने की योजना बना रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जैसे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हुआ क्या उसी तरह पाकिस्तान की सत्ता पर भी तालिबान हावी हो जायेगा?
पाकिस्तान की अराजक स्थिति की चर्चा करें तो आपको बता दें कि भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किए गए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने बुधवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लाहौर स्थित आवास पर हमला कर दिया। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के 500 से अधिक उपद्रवी प्रधानमंत्री के मॉडल टाउन लाहौर स्थित आवास पर पहुंचे और वहां खड़े वाहनों में आग लगा दी। पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “उन्होंने प्रधानमंत्री के घर में पेट्रोल बम भी फेंके।” पुलिस के अधिकारी ने बताया कि जिस समय उपद्रवियों ने हमला किया उस वक्त प्रधानमंत्री के आवास पर केवल चौकीदार मौजूद थे। उपद्रवियों ने वहां एक पुलिस चौकी को भी आग के हवाले कर दिया। प्रधानमंत्री आवास पहुंचने से पहले इमरान खान के समर्थकों की भीड़ ने मॉडल टाउन में सत्तारुढ़ पीएमएल-एन सचिवालय पर हमला किया और वहां खड़े वाहनों में आग लगा दी। उन्होंने वहां के अवरोधकों को भी आग के हवाले कर दिया।
इससे पहले, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इमरान खान के समर्थकों द्वारा किए गए हिंसक विरोध प्रदर्शनों की निंदा की और प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपटने की चेतावनी दी। प्रदर्शनों के दौरान हो रही घातक हिंसा के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने राष्ट्र के नाम एक संक्षिप्त संबोधन दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “सार्वजनिक संपत्ति पर हमला आतंकवाद और देश के प्रति शत्रुता का कार्य है।” उन्होंने कहा कि कानून को अपने हाथ में लेने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने कहा, “उन्हें ऐसी सजा दी जाएगी जो मिसाल बने।”
इसे भी पढ़ें: सत्र अदालत ने Toshakhana मामले में इमरान को किया आरोपित, दूसरी अदालत ने 8 दिन की रिमांड में भेजा
इस बीच, पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शनों के बीच, एक विशेष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को बुधवार को आठ दिन के लिए भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी की रिमांड में भेज दिया, जबकि एक सत्र अदालत ने भ्रष्टाचार के एक अलग मामले में उन्हें आरोपित किया। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में हुए हिंसक प्रदर्शनों में कई लोगों की मौत हो गई और तीन प्रांतों में सेना तैनात करनी पड़ गई है।‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, इमरान खान ने अपने बयान में अदालत को बताया कि उनकी जान को खतरा है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 24 घंटों के दौरान, मैं शौचालय नहीं जा सका हूं।’’ पूर्व प्रधानमंत्री ने अदालत से अनुरोध किया कि उनके डॉक्टर फैसल सुल्तान को उनसे मिलने की अनुमति दी जाए। इमरान खान ने कहा, ‘‘मुझे डर है कि मेरा भी मकसूद चपरासी जैसा हश्र किया जाएगा।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के धन शोधन मामले के एक गवाह का जिक्र करते हुए यह कहा। हम आपको याद दिला दें कि पिछले साल दिल का दौरा पड़ने से मकसूद की मौत हो गई थी। इमरान खान की पार्टी ने गवाह की मौत को ‘रहस्यमय’ बताया था। इमरान खान को जिला एवं सत्र अदालत में भी पेश किया गया, जहां न्यायाधीश हुमायूं दिलावर ने उन्हें तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में आरोपित किया।
इस बीच, पंजाब पुलिस ने कहा, ‘‘प्रदर्शनकारियों ने 14 सरकारी प्रतिष्ठानों/इमारतों और पुलिस के 21 वाहनों को आग के हवाले कर दिया। सुरक्षा एजेंसियों के 130 से अधिकारी घायल हुए हैं। पुलिस ने 1,000 से अधिक उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है।’’ रेडियो पाकिस्तान, पेशावर के महानिदेशक ताहिर हसन ने संवाददाताओं को बताया कि प्रदर्शनकारियों ने सरकार संचालित इस सार्वजनिक प्रसारणकर्ता के भवन को आग के हवाले कर दिया, जिससे स्टूडियो और सभागार को नुकसान पहुंचा। भवन में स्थित सरकार संचालित ‘एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान’ के दफ्तर में भी तोड़फोड़ की गई। इसके अलावा, इस्लामाबाद में, प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़पें हुईं और राष्ट्रीय राजधानी को इसके अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जोड़ने वाले श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात कई घंटे अवरुद्ध रहा। सिंध प्रांत में सरकार को स्थिति पर काबू पाने के लिए धारा 144 लगानी पड़ी। करीब 270 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस बीच, पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण ने कहा है कि पूरे देश में इंटरनेट सेवा निलंबित रहेगी। इसने इस बात की पुष्टि की है कि गृह मंत्रालय के निर्देशों पर मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवा ‘ब्लॉक’ करने का फैसला किया गया।
दूसरी ओर, पाकिस्तानी फौज ने अपने प्रतिष्ठानों पर हमले को लेकर इमरान खान के समर्थकों को कड़ा जवाब देने की चेतावनी दी है और कहा है कि किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा। पाकिस्तानी सेना ने साथ में नौ मई को मुल्क के इतिहास का ‘काला अध्याय’ भी करार दिया। गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के एक मामले में अपने नेता इमरान खान की गिरफ्तारी से गुस्साए उनके समर्थकों ने मंगलवार को सेना के जनरल मुख्यालय और कई अन्य सैन्य संपत्तियों और प्रतिष्ठानों पर धावा बोल दिया था। प्रदर्शनकारियों ने सैन्य वाहनों और प्रतिष्ठानों पर हमला किया और लाहौर कोर कमांडर के आवास में आग लगा दी थी। इसके जवाब में सेना की मीडिया शाखा अंतर सेवा जनसंपर्क (आईएसपीआर) ने कहा, ”हम किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने देंगे।” आईएसपीआर ने कहा कि एक तरफ ये बदमाश अपने “सीमित और स्वार्थी उद्देश्यों” को हासिल करने के लिए देश की भावनाओं को भड़काते हैं और दूसरी तरफ लोगों को धोखा देते हैं। उसने कहा कि यह पाखंड की एक मिसाल है। सेना की मीडिया इकाई ने कहा कि सियासी चोला पहने इस समूह ने ‘सत्ता की लालसा” में वह कर दिखाया है जो 75 साल में दुश्मन नहीं कर पाए। उसने कहा कि इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद प्रदर्शनकारियों की ओर से “सेना की संपत्ति और प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने” की वजह से इतिहास में नौ मई को “काले अध्याय” के तौर पर याद किया जाएगा। बयान में कहा गया है, ”फौज ने संयम दिखाया और सहनशीलता का परिचय दिया। ऐसा अपनी प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए नहीं किया गया बल्कि मुल्क के व्यापक हित में किया गया।” उसमें कहा गया है, ”सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों, सैन्य और राज्य के प्रतिष्ठानों और संपत्तियों सहित सेना पर आगे किसी भी हमले का कड़ा जवाब दिया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी इसी समूह पर होगी जो पाकिस्तान को गृहयुद्ध में धकेलना चाहता है और इसे कई बार व्यक्त कर चुका है।” सेना ने कहा कि उसकी “परिपक्व” प्रतिक्रिया ने इस साजिश को नाकाम कर दिया।
फौज ने कहा कि प्रदर्शनों को कराने वालों और उनकी योजना बनाने वालों तथा इसमें शामिल राजनीतिक कार्यकर्ताओं की पहचान कर ली गई है और उनके खिलाफ कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उसने कहा कि साजिश के तहत ऐसी स्थिति बनाई गई ताकि फौज तत्काल प्रतिक्रिया दे और इसका इस्तेमाल दुष्ट राजनीतिक मकसद के लिए किया जा सके। फौज ने कहा कि अब ये ”दुष्ट तत्व” नतीजों के जिम्मेदार होंगे।