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Pakistan में संसाधनों को China और UAE को जल्द से जल्द बेचने पर क्यों तुली है Shehbaz Sharif की सरकार?

आर्थिक बदहाली से जूझ रहा पाकिस्तान अपने संसाधनों को बेचने के अलावा चीन से मिल रहे उधार और निवेश के सहारे गुजर बसर कर रहा है। एक ओर, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से पाकिस्तान को किसी प्रकार का ऋण नहीं मिल रहा है तो दूसरी ओर इस्लामिक देश भी अब पाकिस्तान को और उधार देने को राजी नहीं हैं ऐसे में पाकिस्तान अब अपने संसाधन गिरवी रखने में जुट गया है ताकि पैसे जुटाये जा सकें। पाकिस्तान में जल्द ही संसदीय चुनाव भी होने हैं और महंगाई के आसमान पर होने के कारण जनता त्राहिमाम कर रही है तथा शहबाज शरीफ सरकार को सत्ता से नीचे उतारने को आतुर दिख रही है। ऐसे में पाकिस्तान सरकार कैसे भी करके जल्द से जल्द धन जुटाने के अभियान पर लग गयी है। पाकिस्तानी नेता देश के संसाधनों को बेच कर धन इसलिए भी जुटाना चाहते हैं ताकि चुनावों में यदि हार का मुँह देखना पड़ जाये तो लंदन में ऐशो आराम की जिंदगी जीने के लिए पैसे की कोई कमी नहीं रहे।
यूएई अब पाकिस्तान को उधार के बदले उससे संसाधन गिरवी रखवाएगा
इसके लिए पाकिस्तान ने आपातकालीन निधि जुटाने के मद्देनजर अपने कराची बंदरगाह टर्मिनल को संयुक्त अरब अमीरात को सौंपने के लिए एक समझौते को अंतिम रूप देने के वास्ते वार्ता समिति का गठन किया है। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान ने आईएमएफ की ओर से रोके गये कर्ज की बहाली से जुड़ी अनिश्चितता के बीच यह कदम उठाया है। ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के मुताबिक, वित्त मंत्री इशाक डार ने अंतर-सरकारी वाणिज्यिक लेन-देन पर कैबिनेट समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में कराची पोर्ट ट्रस्ट (केपीटी) और यूएई सरकार के बीच एक वाणिज्यिक समझौते पर बातचीत करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया। खबर के मुताबिक, एक रूपरेखा समझौते को अंतिम रूप देने के लिए गठित वार्ता समिति की अध्यक्षता समुद्री मामलों के मंत्री फैसल सब्जवारी करेंगे। हम आपको याद दिला दें कि यूएई सरकार ने पिछले साल ‘पाकिस्तान इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल्स’ (पीआईसीटी) के प्रशासनिक नियंत्रण वाले कराची बंदरगाह को हासिल करने में दिलचस्पी दिखाई थी। माना जा रहा है कि इस बंदरगाह पर जल्द ही यूएई का कब्जा हो सकता है।

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पाकिस्तान में आया चीनी परमाणु संयंत्र
जहां तक चीनी जाल में फंसते पाकिस्तान की बात है तो आपको बता दें कि चीन ने नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के पंजाब सूबे में 4.8 अरब डॉलर की लागत से 1200 मेगावाट क्षमता का एक परमाणु संयंत्र लगाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कहने के लिए चीन ने यह करार दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को और प्रगाढ़ करने के संकेत के तौर पर किया है। समझौते पर हस्ताक्षर करने के मौके पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे। समझौते के तहत चीन पंजाब के मियांवाली जिले के चश्मा में 1200 मेगावाट क्षमता के एक चश्मा-V परमाणु संयंत्र की स्थापना करेगा। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने संबोधन में परमाणु संयंत्र समझौते को चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते आर्थिक सहयोग का प्रतीक करार दिया और संकल्प लिया कि इस परियोजना को बिना देरी के पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस पर काम बिना देरी के शुरू करेंगे।’’ इसके साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि चीन और मित्र देशों की मदद से पाकिस्तान मुश्किल समय से बाहर निकल आएगा। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग के मुताबिक, चश्मा में पूर्व में स्थापित चार परमाणु संयंत्रों की बिजली उत्पादन क्षमता 1330 मेगावाट है। दो अन्य परमाणु संयंत्र भी पाकिस्तान में स्थापित हैं। कराची परमाणु संयंत्र के इन दो रिएक्टरों की क्षमता 2,290 मेगावाट है।
चीन से मिला नया कर्ज
इसके अलावा, आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को अपने करीबी सहयोगी चीन से एक अरब डॉलर मिले हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से ऋण सहायता मिलने को लेकर अनिश्चितता के बीच बेहद कम विदेशी मुद्रा भंडार से जूझ रहे पाकिस्तान को इस मदद से काफी राहत मिलेगी। पिछले सप्ताह स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने इस बारे में कोई अन्य विवरण साझा किए बिना चीन से राशि मिलने की पुष्टि की थी। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान का मुद्रा भंडार हाल के सप्ताहों में घटकर लगभग 3.9 अरब अमेरिकी डॉलर तक रह गया था। हम आपको यह भी बता दें कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भुगतान में चूक की कगार पर है। आईएमएफ ने उसे 6.5 अरब डॉलर की ऋण सहायता देने की 2019 में सहमति जताई थी, लेकिन इसमें से 2.5 अरब डॉलर उसे नहीं मिले हैं। इस राशि को जारी करने के लिए आईएमएफ ने कुछ शर्तें रखी हैं। दूसरी ओर पाकिस्तान का कहना है कि वह आईएमएफ की शर्तों को पहले ही पूरा कर चुका है। पाकिस्तान आईएमएफ से मदद नहीं मिलने की स्थिति में अपनी अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए एक विकल्प की तलाश कर रहा है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि चीन उसे चार अरब डॉलर का द्विपक्षीय ऋण देगा।
पाकिस्तानी वित्त मंत्री की सफाई
इस बीच, पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने आईएमएफ की ऋण सहायता रुकने के लिए भू-राजनीति को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाएं चाहती हैं कि नकदी संकट से जूझ रहा यह देश श्रीलंका की तरह धन अदायगी में चूक करे और उसके बाद बातचीत शुरू की जाए। उन्होंने कहा कि आईएमएफ ने नौवीं समीक्षा में हो रही ‘अनावश्यक देरी’ के लिए कोई कारण नहीं बताया गया है। यह समीक्षा नवंबर से टल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि रुके हुए ऋण कार्यक्रम के पीछे भू-राजनीति है, क्योंकि वैश्विक संस्थाएं चाहती हैं कि पाकिस्तान, श्रीलंका की तरह धन अदायगी में चूक करे, और फिर उसके साथ बातचीत शुरू की जाए।

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