पाकिस्तान के परमाणु बम अब भारत के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गए हैं। यही नहीं पाकिस्तान ने अब जीरो रेंज के परमाणु बम का खुलासा किया है। जीरो रेंज वेपन पाकिस्तान की परमाणु रणनीति में खतरनाक बदलाव का संकेत है। पाकिस्तान ने भारत को सर्जिकल स्ट्राइक या जमीनी हमला करने से रोकने के लिए परमाणु तैयारी शुरू कर दी है। अमेरिका की चर्चित पत्रिका फॉरेन पॉलिसी की रिपोर्ट ने बताया कि पाकिस्तान ने पिछले महीने अपने पहले परमाणु परीक्षण की 25वीं वर्षगांठ मनाई, वह अपने वर्तमान परमाणु रुख के बारे में सामान्य से अधिक विवरण साझा करता दिखाई दिया। 24 मई को इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज इस्लामाबाद द्वारा आयोजित एक सेमिनार में बोलते हुए सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई ने पाकिस्तान के अन्यथा अस्पष्ट परमाणु सिद्धांत के नए विवरण प्रदान किए। किदवई जो कहते हैं वह मायने रखता है क्योंकि वह वर्तमान में देश के राष्ट्रीय कमान प्राधिकरण (एनसीए) के सलाहकार हैं, जो परमाणु हथियारों से संबंधित अनुसंधान और विकास और अन्य सभी नीतिगत मामलों को नियंत्रित करता है। वह रणनीतिक योजना प्रभाग (एसपीडी) के पूर्व महानिदेशक भी हैं, जो परमाणु नीति और रणनीति तैयार करने के साथ-साथ परमाणु संपत्तियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।
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अपने संबोधन के दौरान उन्होंने पाकिस्तान की परमाणु नीति के कुछ लंबे समय से चले आ रहे रुख को दोहराया। जैसे कि भारत को रोकने के लिए भूमि, वायु और समुद्र-आधारित क्षमताओं पर आधारित इसके परमाणु त्रय की ताकत, विशेष रूप से भारतीय सेना की तथाकथित कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत, जो इस्लामाबाद की परमाणु सीमा को पार किए बिना पाकिस्तानी क्षेत्र के अंदर संचालन करने के लिए एकीकृत युद्ध समूहों की त्वरित लामबंदी के माध्यम से एक सीमित युद्ध की परिकल्पना करता है। अपने भाषण के दौरान यह दोहराया कि पाकिस्तान भारत की कथित कोल्ड स्टार्ट नीति के खिलाफ जमीन, हवा और पानी के जरिए परमाणु हमला करने की ताकत यानि न्यूक्लियर ट्रायड को मजबूत करेगा।
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किदवई ने इसी दौरान खुलासा किया कि पाकिस्तान की इस न्यूक्लियर ट्रायड नीति में जीरो मीटर रेंज से लेकर 2750 किमी तक परमाणु हमला करने की क्षमता और विनाशकारी परमाणु बम शामिल हैं। इसमें रणनीतिक, ऑपरेशनल और टैक्टिकल परमाणु बम शामिल हैं। फॉरेन पॉ़लिसी की रिपोर्ट में कहा गया कि न्यूनतम रेंज को घटाकर जीरो मीटर करना बहुत अप्रत्याशित है और अगर इसे क्रियान्वित किया गया तो ये पाकिस्तान की परमाणु नीति की सोच में बहुत बड़ा बदलाव होगा।