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Pakistan को अब नहीं पड़ेगी भिखारी एक्सपोर्ट करने की जरूरत, हाथ लग गया 7 बिलियन डॉलर का खजाना

जब भी किसी देश पर आर्थिक तंगी आती है तो वो देश मदद की तरफ देखता है। मदद उसके साझेदारों से भी मिल सकती है या फिर वो संगठन जो आर्थिक पैकेज रिलीज करती है। इनमें एक आईएमएफ भी है। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने आर्थिक तंगी से जूझने के बीच कई बार आईएमएफ की तरफ देखते हुए मदद का हाथ बढ़ाया। मदद के लिए भीख मांगते हुए पाकिस्तान ने ये उम्मीद जताई कि आईएमएफ उसे थोड़ा सा पैसा दे देगा। थोड़ा-थोड़ा बूंद-बूंद करके आईएमएफ पाकिस्तान को पैसा देता भी रहा। पाकिस्तान का घर चलता रहा। ये पाकिस्तान में सरकार किसी की भी रहे घर चलाने की आम प्रक्रिया रही है। फिर से पाकिस्तान ने आईएमएफ की तरफ मदद के लिए देखा तो आईएमएफ ने अपना खजाना पाकिस्तान की तरफ खोल दिया। 

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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए सात अरब डॉलर के नए कर्ज के पैकेज को मंजूरी दी है। इससे पाकिस्तान के मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने के प्रयासों को मजबूती देने के लिए 1.1 अरब डॉलर से कम की पहली ऋण किस्त को तत्काल जारी करने की अनुमति मिल गई है। 

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पीएमओ ने पुष्टि की कि आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने 37 महीने की विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) को मंजूरी दे दी है, जिसकी कुल राशि सात अरब अमेरिकी डॉलर है। यह 1958 के बाद से पाकिस्तान द्वारा प्राप्त किया गया 25वां आईएमएफ कार्यक्रम और छठा ईएफएफ है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने वित्त मंत्रालय के हवाले से कहा कि पाकिस्तान आईएमएफ ऋण पर करीब पांच प्रतिशत ब्याज दर का भुगतान करेगा। मंत्रालय ने यह बयान आर्थिक मामलों से संबंधित सीनेट की स्थायी समिति को भेजा था। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को दोहराया कि यह पाकिस्तान का आखिरी आईएमएफ कार्यक्रम होगा। यह बयान उन्होंने 2023 में 24वें कार्यक्रम को मंजूरी मिलने के बाद दिया। 

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