इजराइल की हाल में यात्रा करने वाले पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने कहा है कि यहूदी नरसंहार के बारे में लोगों को जानकारी देने से पाकिस्तान में यहूदियों को लेकर ‘‘गलत धारणाएं’’ दूर करने और देश में इस धर्म के बारे में समझ विकसित करने एवं सहिष्णुता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यूरोप में नाजी शासन एवं उसके सहयोगियों द्वारा किए गए यहूदियों के नरसंहार को ‘होलोकॉस्ट’ (यहूदी नरसंहार) के नाम से जाना जाता है। इस दौरान करीब 15 लाख बच्चों समेत 60 लाख यहूदियों की सुनियोजित तरीके से हत्या की गई थी।
इजराइल और खाड़ी देशों के युवा नेताओं द्वारा वित्तपोषित एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘शाकारा’ ने इस महीने की शुरुआत में यहूदी नरसंहार शिक्षा कार्यक्रम चलाया था, जिसमें पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने भी भाग लिया था। इस प्रतिनिधिमंडल में धार्मिक नेता, शिक्षाविद और पत्रकार समेत सात लोग शामिल थे।
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे पाकिस्तान के ऑनलाइन पोर्टल ‘डेली जंग’ के उपसंपादक दानिश अमीर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं पक्के तौर पर नहीं बता सकता कि कितने पाकिस्तानी यहूदी नरसंहार के बारे में जानते हैं, लेकिन हमारे देश के अधिकतर लोगों का मानना है कि यह काल्पनिक है। उनका कहना कि यहूदियों ने यह ‘‘कहानी’’ अपने लाभ के लिए बनाई थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यहूदी नरसंहार को मानने से इनकार करनेवाले लोग केवल पाकिस्तान ही नहीं, हर समाज में हैं। हम शायद यहूदी नरसंहार संबंधी शिक्षा कार्यक्रम के जरिए पाकिस्तानी समाज में यहूदियों को लेकर गलत धारणाएं दूर कर पाए और अधिक सहिष्णु वातावरण बना पाएं।’’
पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के दौरे से पहले अरब, यूरोपीय और तुर्की के मुसलमानों के दो अन्य प्रतिनिधिमंडलों ने इजराइल का दौरा किया था।