भारत में लोगों के मन में जातिवाद का जहर फैला रहे विपक्षी नेता देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं। लेकिन इन लोगों को देखना चाहिए कि बांग्लादेश में हिंदुओं को उनकी जाति देखकर नहीं बल्कि धर्म देखकर मारा जा रहा है। बांग्लादेश में हिंदुओं का जो हाल है उस पर पूरा विश्व समुदाय चुप्पी साधे हुए है। यह दर्शाता है कि हमें जातियों में बंटने की नहीं बल्कि समाज के तौर पर एकजुट होने की जरूरत है। सभी को समझना होगा कि एकजुटता से जीत होती है और विभाजन से हार होती है। माना जाता है कि दुनियाभर में हिंदुओं की संख्या 1.2 बिलियन के आसपास है। इसमें से 95 प्रतिशत भारत में हैं जबकि बाकी अन्य देशों में। यह जो पांच प्रतिशत हिंदू अन्य देशों खासकर दक्षिण एशियाई देशों में रह रहे हैं यह यातना भरा जीवन गुजार रहे हैं। अक्सर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की खबरें आती ही रहती हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले तो इस समय पूरी दुनिया देख ही रही है साथ ही पाकिस्तानी हिंदुओं को भी अपने साथ हिंसा होने की आशंका सता रही है जिसके चलते वह भी भारत आना चाहते हैं।
इस समय बांग्लादेश में हिंदुओं की क्या हालत है यह वहां से आ रहे वीडियोज में देखा जा सकता है। बांग्लादेश में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अब हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा में बदल गया है। कई हिंदू मंदिरों, घरों और हिंदू समुदाय से संबंधित अन्य स्थानों को उपद्रवियों की ओर से निशाना बनाया जा रहा है। उग्र इस्लामवादियों द्वारा इस सप्ताह सैंकड़ों हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा चुका है। इस्लामवादियों की हिंदुओं के प्रति बर्बरता और नफरत को दर्शाता जो नया वीडियो वायरल हो रहा है उसने अमानवीयता की पराकाष्ठा दर्शाई गयी है। इस वीडियो में इस्लामवादियों को जमीन पर पड़े एक मृत व्यक्ति को घेरे हुए देखा जा सकता है। मृत व्यक्ति के सिर के नीचे खून बिखरा है और उसके हाथ हथकड़ी से बंधे हुए हैं। उसके चारों ओर बहुत से आदमी इकट्ठे हैं। एक आदमी, जिसका चेहरा वीडियो में नहीं देखा जा सकता, वह छड़ी की मदद से मृत व्यक्ति को नग्न कर देता है और पीड़ित व्यक्ति के गुप्तांग को जांचता है। भीड़ ‘हिंदू, हिंदू’ चिल्लाते हुए, शव के ऊपर हंसती है क्योंकि उस व्यक्ति का खतना नहीं हुआ था और वह हिंदू था। हालांकि अब इस वीडियो को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से हटा दिया गया है लेकिन यह घटना दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी हुई है।
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बांग्लादेश में प्रताड़ना झेल रहे हिंदुओं की करुण गाथा की तमाम खबरें इस समय विभिन्न देशों के मीडिया में छाई हुई हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, राजधानी ढाका में एक हिंदू छात्रा प्रियोंथी चटर्जी ने कहा है कि मुसलमानों ने दक्षिणी बागेरहाट क्षेत्र में उनके घर पर और उनके परिवार पर हमला किया जिसमें उनके पिता की मौत हो गई और उनकी मां को सिर पर चोटें आईं। उन्होंने कहा कि मेरे पिता एक शिक्षक थे। उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता ने मदद के लिए सेना और पुलिस को बुलाने की कोशिश की लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। अन्य रिपोर्टों में बताया गया है कि बांग्लादेश के विभिन्न जिलों में हिंदुओं के घरों और उनके मंदिरों पर हमले हो रहे हैं। बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के एक संगठन का नेतृत्व करने वाले राणा दास गुप्ता ने कहा है कि हिंदुओं पर हमलों के परिणामस्वरूप कई मौतें हुई हैं और 100 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। उन्होंने कहा, “जिन लोगों के घरों पर हमला किया गया उनमें से कुछ सीधे तौर पर अवामी लीग के समर्थक हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में इस समय लक्षित हमले हो रहे हैं।
इस बीच, ह्यूमन राइट्स वॉच में एशिया की उप निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की रिपोर्टों को “बेहद चिंताजनक” बताया है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं पर स्पष्ट रूप से इसलिए हमला किया जा रहा है क्योंकि वे परंपरागत रूप से शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी का समर्थन करते थे।
रिपोर्टों के मुताबिक, बांग्लादेश के वीभत्स हालात को देखते हुए वहां के हिंदू भाग कर भारत आना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले में बांग्लादेशी शरणार्थियों ने सीमा सुरक्षा बलों (बीएसएफ) से गुहार लगाते हुए कहा है कि या तो हमें भारत में शरण दो या यहीं मार डालो। बताया जा रहा है कि 500 से अधिक शरणार्थी भारत में आश्रय की तलाश में नो मैन्स लैंड पर इंतजार कर रहे हैं। एक बांग्ला अखबार, उत्तरबंगा संबाद ने बताया कि बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के साथ उत्तर दिनाजपुर सीमा के पास नो-मैन्स लैंड पर सैंकड़ों शरणार्थी आए हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि शरणार्थी भारत में आश्रय की तलाश में नो-मैन्स लैंड तक पहुंचने के लिए नगर नदी को पार कर गए। हालांकि बीएसएफ आश्रय देने से इंकार करने और उन्हें वापस लौटने के लिए कह रही है। उत्तरबंगा संवाद की रिपोर्ट है कि 500 से अधिक शरणार्थी, जिनमें वृद्ध लोग और बच्चे भी शामिल हैं, एक ही गुहार के साथ नो-मैन्स लैंड पर खड़े हैं- “भारत से आश्रय”।
बताया जा रहा है कि सीमा सुरक्षा बल ने बुधवार को करीब 120-140 बांग्लादेशी नागरिकों के एक समूह को रोका, जो पश्चिम बंगाल में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर भारतीय सीमा में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों के मुताबिक इस सप्ताह के प्रारंभ में ढाका में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से ही सुरक्षाबल ‘हाई अलर्ट’ पर हैं। अधिकारियों ने बताया कि यह घटना दार्जिलिंग के कदमतला में स्थित बीएसएफ के मुख्यालय के अधिकार क्षेत्र में दो स्थानों पर दिन में हुई। उन्होंने बताया कि बीएसएफ के फील्ड कमांडरों ने बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के अपने समकक्षों से संपर्क किया और महिलाओं और बच्चों के साथ आए 120-140 लोगों के इस समूह को रोका गया तथा उन्हें वापस जाने को कहा गया। अधिकारियों ने बताया कि सीमा पर स्थिति नियंत्रण में है।
इसके अलावा, पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में भारत के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी सैंकड़ों बांग्लादेशी नागरिक एकत्र हुए और दावा किया कि उनके देश में उन पर हमला हो रहा है। अधिकारियों ने बताया कि यह घटना झापोर्टला सीमा चौकी क्षेत्र में दक्षिण बेरुबारी गांव के पास हुई। उन्होंने कहा कि अर्धसैनिक बल ‘बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश’ (बीजीबी) बाद में उन्हें वापस ले गया। उन्होंने कहा कि ये लोग बांग्लादेश के पंचगढ़ जिले के पांच गांवों के थे जिसकी सीमा जलपाईगुड़ी से लगती है। इस संबंध में एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि कंटीले तारों के पार इकट्ठा हुए लोग अंदर आने देने की गुहार लगा रहे थे। व्यक्ति ने कहा, ‘‘लेकिन हम असहाय हैं। उन्होंने (बांग्लादेशियों) अपने भयावह अनुभव बताए।’’
दूसरी ओर पाकिस्तान की बात करें तो वहां भी रह रहे हिंदू परिवारों के मन में डर पैदा हो गया है। बताया जा रहा है कि दो पाकिस्तानी हिंदू परिवार अपने सभी सामान के साथ बुधवार को अमृतसर के पास अटारी सीमा से भारत में प्रवेश कर गए और जोधपुर की ओर चले गए। जोधपुर के एक निवासी ने खुद को अशोक बताते हुए कहा कि वह अपनी पत्नी के 16 पाकिस्तानी हिंदू रिश्तेदारों और एक अन्य परिवार के पांच सदस्यों को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रहीम यार खान से लाया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तानी हिंदू टूरिस्ट वीजा पर भारत आना चाह रहे हैं। पाकिस्तानी हिंदुओं को इस बात का भय है कि बांग्लादेश में हो रही हिंसा के चलते उनके खिलाफ भी स्थानीय इस्लामवादी हिंसा पर उतारू हो सकते हैं।