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पाकिस्तानी तालिबान ने पीएमएल-एन, पीपीपी के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाने की धमकी दी

प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने बुधवार को धमकी दी कि अगर सत्तारूढ़ गठबंधन के दो प्रमुख राजनीतिक दलों ने आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कदम का समर्थन जारी रखा तो वे पार्टी के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाएंगे।
टीटीपी को अल-कायदा का करीबी माना जाता है। उसने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सत्तारूढ़ गठबंधन को चेतावनी दी है।

आतंकवादी समूह की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, ‘‘अगर ये दोनों दल अपने रुख पर कायम रहे और सेना के गुलाम बने रहे तो उनके प्रमुख लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’’
समूह ने चेतावनी दी कि ‘‘लोगों को ऐसे प्रमुख लोगों के करीब जाने से बचना चाहिए।’’ इसने दावा किया कि टीटीपी केवल पाकिस्तान में ‘‘जिहाद’’ चला रहा था और ‘‘हमारा निशाना देश पर कब्जा कर रही सुरक्षा एजेंसियां हैं’’।

सने विशेष रूप से विदेश मंत्री बिलावल को चेतावनी दी, जिनकी मां पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो 2007 में एक आतंकवादी हमले में मारी गई थीं।
बयान में कहा गया है, ‘‘हालांकि बिलावल अभी बच्चा है, इस बेचारे ने अभी तक नहीं देखा है कि युद्ध की स्थिति क्या होती है।’’ साथ ही इसमें कहा गया है कि पीपीपी नेता ने टीटीपी पर एक खुले युद्ध की घोषणा की थी।
समूह ने यह भी कहा कि उसने लंबे समय से किसी भी राजनीतिक दल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की थी लेकिन ‘‘दुर्भाग्य से… बिलावल भुट्टो जरदारी ने अपनी मां के प्यार की प्यास बुझाने के लिए अमेरिका को मां का दर्जा दिया’’।

आतंकवादी संगठन ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री शरीफ ने अमेरिका को खुश करने के लिए टीटीपी के खिलाफ युद्ध में अपनी पूरी पार्टी के समर्थन का वादा किया था।
टीटीपी ने धार्मिक राजनीतिक दलों को यह कहते हुए बख्श दिया कि टीटीपी की नीति में उनके खिलाफ कार्रवाई की कोई गुंजाइश नहीं है। हालांकि, इसमें उनसे कहा गया है कि ‘‘हम आपसे (धार्मिक पार्टियों से) भी अनुरोध करते हैं कि हमारे खिलाफ गतिविधियों से दूर रहें।’’

यह चेतावनी राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के बैनर तले देश के असैन्य-सैन्य नेतृत्व की बैठक के दौरान देश में आतंकवाद के प्रति ‘‘शून्य सहिष्णुता’’ दिखाने के संकल्प के कुछ दिनों बाद आई है।
प्रधानमंत्री शरीफ ने एनएससी की बैठक की अध्यक्षता की और बागियों के खिलाफ एक नयी नीति की वकालत करने वाले बिलावल ने भी इसमें भाग लिया। राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित प्रमुख सुरक्षा और रणनीतिक मामलों के बारे में निर्णयों को अंतिम रूप देने के लिए एनएससी सर्वोच्च निकाय है।


विदेश मंत्री ने पहले भी आतंकवादियों के साथ बातचीत का विरोध करते हुए कहा था कि सरकार तुष्टिकरण की नीति नहीं अपनाएगी। मंगलवार को आंतरिक मंत्री राणा सनाउल्लाह ने कहा कि टीटीपी या किसी अन्य आतंकवादी संगठन के साथ कोई बातचीत नहीं होगी।
नवंबर में टीटीपी ने जून में सरकार के साथ हुए अनिश्चितकालीन युद्धविराम को वापस ले लिया और अपने आतंकवादियों को सुरक्षा बलों पर हमले करने का आदेश दिया।

पाकिस्तान को उम्मीद थी कि सत्ता में आने के बाद अफगान तालिबान टीटीपी के गुर्गों को निकालकर पाकिस्तान के खिलाफ अपनी जमीन का इस्तेमाल करना बंद कर देगा, लेकिन प्रतीत होता है कि उसने इस्लामाबाद के साथ रिश्ते खराब होने की परवाह किए बगैर ऐसा करना बंद नहीं किया है।
टीटीपी पर पाकिस्तान में कई हमलों को अंजाम देने के आरोप लगे हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई पर 2012 में टीटीपी ने ही हमला किया था।

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