पाकिस्तान के एक विश्वविद्यालय द्वारा हिंदू पर्व होली मनाने पर आपत्ति जताते हुए उच्च शिक्षा आयोग ने देश की इस्लामी पहचान के क्षरण पर चिंता व्यक्त की है।
पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग (एचईसी) ने विश्वविद्यालयों से कहा है कि वे इस तरह की सभी गतिविधियों से “विवेकपूर्ण तरीके से दूरी” बनाएं।
आयोगके कार्यकारी निदेशक शाइस्ता सोहेल ने शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों को लिखे पत्र में उक्त विश्वविद्यालय का नाम नहीं दिया। यह पत्र हालांकि इस्लामाबाद में कायद-ए-आजम विश्वविद्यालय द्वारा आठ मार्च को होली के एक कार्यक्रम की मेजबानी के बारे में सोशल मीडिया पर खबरें आने के कुछ दिनों बाद आया है।
डॉन अखबार ने बताया कि मंगलवार को जारी अपने पत्र में एचईसी ने कहा कि इस आयोजन से “चिंता पैदा हुई और देश की छवि को नुकसान पहुंचा”।पत्र में लिखा गया है, “दुर्भाग्य से, ऐसी गतिविधियों को देखना दुखद है जो हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों से पूरी तरह से अलग हैं और देश की इस्लामी पहचान के क्षरण को दर्शाती हैं।”
इसमें कहा गया, “ऐसा ही एक उदाहरण जिसने चिंता पैदा की है, वह है हिंदू त्योहार होली मनाने में प्रदर्शित उत्साह… एक विश्वविद्यालय के मंच से व्यापक रूप से प्रचारित घटना ने चिंता पैदा की है और देश की छवि को नुकसान पहुंचाया है।”
आठ मार्च के कार्यक्रम का एक वीडियो सोशल मीडिया में प्रसारित हो रहा है जिसमें विद्यार्थियों को नाचते और हवा में रंग उड़ाते हुए देखा जा सकता है तथा वीडियो में तेज संगीत की आवाज भी आ रही है।
पत्र में कहा गया, “इस तथ्य से हालांकि इनकार नहीं किया जा सकता है कि सांस्कृतिक, जातीय और धार्मिक विविधता एक समावेशी और सहिष्णु समाज की ओर ले जाती है, जो सभी धर्मों और पंथों का गहराई से सम्मान करता है। यद्यपि ऐसा नपे-तुले ढंग से करने की आवश्यकता है…।”
आयोग ने पत्र में कहा कि छात्रों को निहित स्वार्थों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है।