जकार्ता (इंडोनेशिया)। इंडोनेशिया में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे उत्साह के साथ बृहस्पतिवार को ईद-उल-अजहा (बकरीद) का त्योहार मना रहे हैं।
पिछले साल यहां पशुओं में खुरपका-मुंहपका बीमारी फैलने के बाद बकरीद के रंग फीके पड़ गए थे, क्योंकि पशुओं की बलि पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था।
इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्रुनेई और सिंगापुर सहितदक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में बृहस्पतिवार को बकरीद मनाई जा रही है, जबकि सऊदी अरब, मिस्र, तुर्की, अफगानिस्तान और नाइजीरिया जैसे देशों सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में मुसलमानों ने बुधवार को यह त्योहार मनाया था।
इसे भी पढ़ें: AAP-शिवसेना का समर्थन, कांग्रेस की मुखालफत, NCP का न्यूट्रल स्टैंड, एकजुट विपक्ष की कोशिशों को UCC से लगेगा बड़ा झटका?
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में बृहस्पतिवार को लोगों ने मिलकर नमाज अदा की। सुबह की नमाज के लिए मस्जिदों में लोगों की भारी भीड़ दिखी।
जकार्ता की इस्तिकलाल ग्रैंड मस्जिद में काफी अधिक संख्या में लोग नजर आए, जो दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद है।
जकार्ता निवासी नेइस्या फैबियोला ने कहा, ‘‘ अल्लाह का शुक्र है, हम अपने परिवार के साथ ईद उल-अजहा की नमाज़ पढ़ सकते हैं और अब किसी भी प्रकोप तथा वैश्विक महामारी के डर के बिना त्योहार मना पा रहे हैं।’’
पिछले साल खुरपका-मुंहपका बीमारी के कारण इंडोनेशिया में बकरीद पर जानवरों की बलि देने की परम्परा पर रोक लगा दी गई थी।
इसे भी पढ़ें: केंद्र के प्रयासों के कारण बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर संरा रिपोर्ट से भारत का नाम हटा: सरकार
खुरपका-मुंहपका रोग, जानवरों में फैलने वाली एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है, इसका संक्रमण कभी-कभी मनुष्यों में भी फैलता है।
इंडोनेशिया की सरकार ने त्योहार से पहले और बाद में अनिवार्य रूप से दो दिन की अतिरिक्त छुट्टी देकर इस साल बकरीद की छुट्टी को बढ़ाने का फैसला किया है।
राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कहा कि यह निर्णय दुनिया के सबसे बड़े द्वीपीय राष्ट्र में आर्थिक गतिविधियों और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है।
गौरतलब है कि इस्लामी मान्यता के अनुसार, पैगंबर हज़रत इब्राहिम अपने बेटे हज़रत इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके बेटे इस्माइल को जीवनदान दे दिया। इसी की याद में ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार मनाया जाता है।