चीन के साथ चल रहे तनावपूर्ण संबंधों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने लगभग एक साल बाद प्रत्यक्ष रूप से आमने सामने की बातचीत की। दोनों नेता वैसे तो हाल ही में बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रत्यक्ष और वर्चुअल रूप से कई बार मिले लेकिन दोनों के बीच सीधी बातचीत नहीं हुई थी। हम आपको बता दें कि मोदी और जिनपिंग के बीच पिछली वार्ता पिछले साल जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान जकार्ता में हुई थी। इस मुलाकात के बारे में भी हाल ही में दोनों देशों की ओर से जानकारी दी गयी थी जिसके बाद माना जा रहा था कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर दोनों नेता एक बार फिर मिल सकते हैं। हालांकि दोनों ही देशों की ओर से इस मुलाकात के बारे में पहले कोई घोषणा नहीं की गयी थी। बहरहाल, जोहानिसबर्ग की मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि अगले महीने की शुरुआत में दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए शी जिनपिंग भारत का दौरा कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो दोनों देशों के संबंधों में सुधार आना निश्चित है।
जहां तक जोहानिसबर्ग में दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात की बात है तो आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अपनी बातचीत में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस बात पर जोर दिया कि चीन-भारत संबंधों में सुधार साझा हितों को पूरा करता है और यह क्षेत्र एवं दुनिया में शांति और स्थिरता लाने में सहायक होगा। चीन ने जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन के इतर दोनों नेताओं के बीच हुई वार्ता का शुक्रवार को ब्योरा जारी कर यह जानकारी दी।
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इससे पहले, भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत के दौरान शी जिनपिंग को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ‘‘अनसुलझे’’ मुद्दों के संबंध में भारत की चिंताओं से अवगत कराया। क्वात्रा के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और एलएसी का सम्मान भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए आवश्यक है।
जोहानिसबर्ग में बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में क्वात्रा ने कहा कि मोदी और शी अपने-अपने संबंधित अधिकारियों को सैनिकों की शीघ्र वापसी और तनाव कम करने के प्रयासों को तेज करने का निर्देश देने पर सहमत हुए। क्वात्रा ने कहा कि मोदी ने जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन से इतर समूह के नेताओं के साथ बातचीत की। क्वात्रा ने कहा कि मोदी ने शिखर सम्मेलन से इतर शी से बातचीत की और संबंधों को सामान्य बनाने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करने की महत्ता के साथ ही भारत की चिंताओं से उन्हें अवगत कराया। विदेश सचिव ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर अन्य ब्रिक्स नेताओं से भी बातचीत की।” उन्होंने कहा, ”चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत में प्रधानमंत्री ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर अनसुलझे मुद्दों पर भारत की चिंताओं का उल्लेख किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं सामंजस्य बनाए रखना तथा एलएसी का सम्मान करना भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए आवश्यक हैं।’’ क्वात्रा ने कहा, ‘‘इस संबंध में दोनों नेता अपने संबंधित अधिकारियों को सैनिकों की शीघ्र वापसी और तनाव कम करने के प्रयासों को तेज करने का निर्देश देने पर सहमत हुए।’’ सरकार पूर्वी लद्दाख क्षेत्र को पश्चिमी सेक्टर कहती है।
उधर, चीनी ब्योरे में दोनों नेताओं के बीच बुधवार को हुई बातचीत को ‘‘स्पष्ट और गहन’’ बताया गया है। इसमें कहा गया है, ‘‘23 अगस्त को (चीन के) राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर वर्तमान चीन-भारत संबंधों और साझा हित के अन्य मामलों पर विचारों का स्पष्ट और गहन आदान-प्रदान किया।’’ इसमें कहा गया, ‘‘राष्ट्रपति शी ने इस बात पर जोर दिया कि चीन-भारत संबंधों में सुधार दोनों देशों और लोगों के साझा हितों को पूरा करता है और क्षेत्र एवं दुनिया की शांति, स्थिरता और विकास के लिए भी सहायक है।’’ नयी दिल्ली में चीनी दूतावास द्वारा जारी बयान में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों को अपने द्विपक्षीय संबंधों के समग्र हितों को ध्यान में रखना चाहिए और सीमा मुद्दे को उचित तरीके से सुलझाना चाहिए ताकि सीमा क्षेत्र में शांति की संयुक्त रूप से रक्षा की जा सके।’’