पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान में ताबड़तोड़ हमले हुए हैं। पाकिस्तान और चीन की लूट और अत्याचारों से तंग आकर बलूच लिबरेशन आर्मी की मजीद ब्रिगेड ने बलूचिस्तान की 10 अलग अलग जगहों पर कॉर्डिनेटेड हमले किए हैं। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक साथ इतने हमले पिछले कई सालों में नहीं हुए हैं। बलूच विद्रोहियों ने दावा किया है कि उसने पाकिस्तान ने 130 से भी ज्यादा सैनिकों को मार दिया है। बलूच विद्रोहियों ने हाइवे पर चल रही बसें-ट्रकों को रोककर 40 से भी ज्यादा लोगों को मार दिया है। सबके पहचान पत्र देखें गए और जो भी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का रहने वाला पंजाबी मिला उसे मार दिया गया। बलूचों का मानना है कि पाकिस्तान ने जो भी थोड़ा बहुत विकास किया है वो अपने पंजाब प्रांत में ही किया है। जबकि बलूचिस्तान को सिर्फ लूटा है। इसलिए पाकिस्तानी पंजाबी की टारगेट किलिंग की है। बलूचों ने कई हाइवे तोड़ दी है और कई पुलिस चौकियों पर कब्जा भी कर लिया है। पाकिस्तान और ईरान के बीच की रेलवे लाइन को भी निशाना बनाया गया है।
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वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अयूब खोसो ने कहा कि यात्रियों को बसों से उतरने के लिए कहा गया और राष्ट्रीय पहचान पत्र देखने के बाद उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी। खोसो ने बताया कि मृतकों में से ज्यादातर लोग दक्षिणी पंजाब के और कुछ खैबर पख्तूनख्वा के हैं जिससे पता चलता है कि उनकी जातीय पृष्ठभूमि के कारण उनकी हत्या की गयी है। प्राधिकारियों ने बताया कि एक अन्य हमले में बलूचिस्तान के कलात जिले में बंदूकधारियों ने चार पुलिस अधिकारियों समेत कम से कम 11 लोगों की हत्या कर दी गयी।कलात राजधानी क्वेटा से करीब 150 किलोमीटर दक्षिण में स्थिति है और बलूच कबीलों का इलाके में दबदबा है।
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शहबाज शरीफ ने कहा कि इस घटना के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों को कड़ी सजा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि देश में किसी भी प्रकार का आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ने आतंकवाद की समस्या को खत्म करने की पाकिस्तान की अटूट प्रतिबद्धता व्यक्त की। बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती ने आतंकवाद की इस घटना की कड़ी निंदा की है। 2015 में भी हुई थी जब बंदूकधारियों ने तुरबत के समीप एक श्रमिक शिविर पर हमला कर 20 लोगों की हत्या कर दी थी। पाकिस्तान संघर्ष और सुरक्षा अध्ययन संस्थान के अनुसार, बलूचिस्तान में पिछले साल 170 आतंकवादी हमले हुए थे जिनमें 151 नागरिकों और 114 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गयी थी।