जनवरी (एपी) पोप एमेरिटस (सेवामुक्त) बेनेडिक्ट 16वें को 20वीं सदी के सर्वाधिक बौद्धिक कैथोलिक धर्मशास्त्रियों में से एक होने का श्रेय दिया जाता है। उन्हें एक ऐसे पोप के रूप में जाना जाता था, जिन्होंने किताबों, उपदेशों और भाषणों के माध्यम से ईसाई धर्म का प्रचार किया।
हालांकि, उन्हें शायद ही कभी अपनी विरासत के किसी अन्य महत्वपूर्ण पहलू का श्रेय मिला हो। उन्होंने वेटिकन को पादरियों से जुड़े यौन शोषण के मामलों से बचाए रखा और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की वकालत की।
कार्डिनल और पोप के रूप में, बेनेडिक्ट ने चर्च के कानून में क्रांतिकारी बदलावों को आगे बढ़ाया, ताकि यौन शोषण के आरोपी पादरियों का बच निकलना आसान नहीं हो और उन्होंने उनमें से सैकड़ों को बर्खास्त कर दिया। वह यौन शोषण के पीड़ितों से मिलने वाले पहले पोप थे।
उन्होंने कैथोलिक चर्च के 20वीं सदी के सबसे असाधारण मामले में अपने पूर्ववर्ती के फैसले को उलट दिया था। पोप बेनेडिक्ट ने अंत में, कई बच्चों का यौन शोषण करने वाले एक पादरी के खिलाफ कार्रवाई की थी, जिसकी सेंट जॉन पॉल द्वितीय के आंतरिक समूह द्वारा सराहना की गयी थी।
पोप बेनेडिक्ट (95) का शनिवार को निधन हो जाने के बाद कई लोगों का मानना है कि यौन शोषण के मामलों को लेकर बहुत कुछ किया जाना चाहिए था। यौन शोषण के पीड़ितों और उनके समर्थकों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पोप बेनेडिक्ट के कार्यकाल के दौरान ऐसा कुछ विशेष नहीं हुआ, जिसकी सराहना की जानी चाहिए।
इन लोगों का कहना है कि कैथोलिक चर्च के अन्य पोप की तरह पोप बेनेडिक्ट ने भी चर्च की छवि बचाने की कोशिश की और कई तरह से उन्होंने पादरी व्यवस्था को भी जारी रखने की कोशिश की।
यौन शोषण के पीड़ितों के अमेरिका स्थित समूह एसएनएपी ने कहा, ‘‘हमारे विचार में पोप बेनेडिक्ट चर्च के सबसे गहरे रहस्यों को अपने साथ अपनी कब्र में ले जा रहे हैं।’’
धर्मनिरपेक्ष यूरोप में ईसाई धर्म के पुनर्जागरण की कोशिश करने वाले एवं जर्मनी से ताल्लुक रखने वाले बेनेडिक्ट एक ऐसे पोप के रूप में याद रखे जाएंगे, जो इस पद से इस्तीफा देने वाले 600 वर्षों में प्रथम कैथोलिक धर्मगुरु थे।
सेंट पीटर्स स्क्वायर में बृहस्पतिवार को विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा। यह एक अभूतपूर्व कार्यक्रम होगा, जिसमें मौजूदा पोप पूर्व पोप की अंत्येष्टि पर प्रार्थना सभा में हिस्सा लेंगे।
बेनेडिक्ट ने 11 फरवरी 2013 को विश्व को उस वक्त स्तब्ध कर दिया था, जब उन्होंने यह घोषणा की कि वह 1.2 अरब अनुयायियों वाले कैथोलिक चर्च का अब नेतृत्व नहीं कर सकेंगे। वह आठ वर्षों तक इस पद पर रहे और विवादों के बीच उन्होंने इसका (कैथोलिक चर्च का) नेतृत्व किया।
अचानक दिये गये उनके इस्तीफे ने इस शीर्ष पद के लिए पोप फ्रांसिस के चुने जाने का मार्ग प्रशस्त किया था। दोनों पोप वेटिकन गार्डन में साथ-साथ रहे और इस अभूतपूर्व व्यवस्था ने भविष्य के पोप के लिए भी इसका अनुसरण करने की राह तैयार की।
पूर्व कार्डिनल जोसेफ रैतजींगर कभी पोप नहीं बनना चाहते थे। वह 78 वर्ष की आयु में यह योजना बना रहे थे कि अपने जीवन के अंतिम वर्ष पैतृक स्थान बावरिया में शांतिपूर्वक रहते हुए लेखन कार्य में बिताएंगे।
इसके बजाय, उन्हें सेंट जॉन पॉल द्वितीय के पदचिह्नों पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ा और चर्च का नेतृत्व करना पड़ा।