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पोप फ्रांसिस ने सरोगेसी को दुनिया भर में प्रतिबंधित करने की मांग की है। सोमवार को मातृत्व की घृणित प्रथा पर पोप फ्रांसिस ने रोक लगाने की मांग की है। वार्षिक संबोधन के दौरान पोप फ्रांसिस ने ये बात कही है। उन्होंने वैश्विक शांति और मानवीय गरिमा के लिए उभर रहे खतरों की सूची में ही सरोगेसी को भी शामिल किया है।
सरोगेसी को उन्होंने गर्भावस्था के व्यवसायीकरण के तौर पर पेश किया है। पवित्र वेटिकन से मान्यता प्राप्त राजदूतों को एक विदेश नीति संबोधन में, फ्रांसिस ने अफसोस जताया कि 2024 इतिहास में एक ऐसे समय में शुरू हुआ है जिसमें शांति ‘‘का तेजी से ह्रास हो रहा है, यह कमजोर हो रही है और कुछ हद तक खो गई है।’’ यूक्रेन-रूस युद्ध, इजराइल-हमास युद्ध, प्रवासन, जलवायु संकट और परमाणु और पारंपरिक हथियारों के ‘अनैतिक’ उत्पादन का हवाला देते हुए, 87 वर्षीय पोप फ्रांसिस ने मानवता को प्रभावित करने वाली खामियों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन कर उन्हें अनुमति देने की एक लंबी सूची पेश की। फ्रांसिस ने छोटे पैमाने के मुद्दों का भी उल्लेख किया और कहा कि सरोगेसी सहित ये मुद्दे शांति और मानवीय गरिमा के लिए खतरा हैं।
उन्होंने कहा कि अजन्मे बच्चे के जीवन की रक्षा की जानी चाहिए और उसे ‘‘दबाया या तस्करी की वस्तु नहीं बनाया जाना चाहिए।’’ पोप ने कहा, ‘‘मैं तथाकथित सरोगेसी से मातृत्व की प्रथा को घृणित मानता हूं, जो मां की भौतिक आवश्यकताओं के शोषण के आधार पर महिला और बच्चे की गरिमा का गंभीर उल्लंघन दर्शाती है। उन्होंने कहा कि मैं सरोगेसी को घृणित मानता हूं। बच्चा हमेशा तोहफा होता है जो कभी किसी एग्रीमेंट का आधार नहीं हो सकता है।
बता दें कि अमेरिका जैसे देशों में सरोगेसी काफी आम है। यहां सरोगेसी के साथ ही मां के लिए सुरक्षा, स्वतंत्र कानूनी प्रतिनिधित्व की गारंटी और इलाज का कवरेज किया जाता है। वहीं दुनिया के कई देश ऐसे भी हैं जहां सरोगेसी को बैन किया गया है। इसमें इटली, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी, यूरोप शामिल है।
जानें क्या है सरोगेसी
बता दें कि सरोगेसी एक ऐसा तरीका है जिसमें एक महिला किसी अन्य जोड़े या व्यक्ति के लिए गर्भवती होती है और बच्चे को जन्म देती है। ये उस स्थिति में काफी लाभदायक होता है जब कोई कपल बच्चा चाहता है मगर मेडिकली फिट नहीं होता है।