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सत्तारूढ़ गठबंधन टूटने के बाद प्रचंड ने प्रधानमंत्री बनने के लिए ओली का समर्थन मांगा

प्रधानमंत्री एवं नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के बीच सत्ता-साझेदारी पर सहमति न बन पाने के बाद नेपाल में पांच दलों का सत्तारूढ़ गठबंधन रविवार को वस्तुत: टूट गया।
सीपीएन-एमसी के सचिव गणेश शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री देउबा द्वारा पांच-वर्षीय कार्यकाल के पूर्वार्द्ध में प्रधानमंत्री बनने की प्रचंड की शर्त खारिज करने के बाद प्रधानमंत्री आवास बालुवातार में हुई वार्ता विफल रही।

देउबा और प्रचंड पहले बारी-बारी से नयी सरकार का नेतृत्व करने के लिए मौन सहमति पर पहुंचे थे।
माओवादी सूत्रों ने बताया कि रविवार सुबह प्रचंड के साथ बातचीत के दौरान नेपाली कांग्रेस (नेकां) ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों प्रमुख पदों के लिए दावा किया था, जिसे प्रचंड ने खारिज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप वार्ता विफल हो गई।
नेकां ने माओवादी पार्टी को अध्यक्ष पद की पेशकश की, जिसे प्रचंड ने खारिज कर दिया।
शाह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, अब गठबंधन टूट गया है, क्योंकि देउबा और प्रचंड के बीच अंतिम समय में हुई बातचीत बेनतीजा रही।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री देउबा के साथ बातचीत विफल होने के बाद प्रचंड प्रधानमंत्री बनने के लिए समर्थन मांगने के वास्ते सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली के निजी आवास पहुंचे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री ओली के बालकोट स्थित आवास पर बातचीत जारी है।
प्रतिनिधि सभा में 89 सीट के साथ नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-एमसी के पास क्रमश: 78 और 32 सीट हैं।
प्रचंड के अलावा जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र यादव, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष राजेंद्र लिंगडेन और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के अध्यक्ष रवि लामिछाने भी संयुक्त बैठक में भाग लेने के लिए ओली के आवास पर पहुंचे हैं।

सूत्रों ने कहा कि सत्ता और महत्वपूर्ण पदों के बंटवारे पर सहमति बनने के बाद इन पार्टियों के नयी सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राष्ट्रपति कार्यालय पहुंचने की संभावना है।
सीपीएन-एमसी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, रविवार तक नयी सरकार के गठन की संभावना नहीं है और दलों को सत्ता के बंटवारे के लिए बातचीत को लेकर और समय की आवश्यकता हो सकती है।
दो सौ पचहत्तर सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा में किसी भी दल के पास सरकार बनाने के लिए आवश्यक 138 सीट नहीं हैं।

संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत गठबंधन सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति बिद्या भंडारी द्वारा दी गई समय सीमा रविवार शाम को समाप्त हो रही है।
यदि राजनीतिक दल समय सीमा के भीतर सरकार बनाने में विफल रहते हैं, तो उनके (राजनीतिक दलों के) अनुरोध पर राष्ट्रपति या तो समय सीमा बढ़ाएंगी या वह संविधान के अनुच्छेद 76(3) के तहत सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगी। ऐसे में प्रधानमंत्री को 30 दिनों के भीतर प्रतिनिधि सभा में बहुमत साबित करना होगा।

नवगठित राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) को 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी को 14, जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) को 12 और जनमत पार्टी को छह सीट मिली हैं।
सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के पास 10 सीट हैं, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (एलएसपी) के पास चार और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के पास तीन सीट हैं। राष्ट्रीय जनमोर्चा और नेपाल वर्कर्स एंड पीजेंट्स पार्टी के पास एक-एक सीट है।
निचले सदन में पांच निर्दलीय सदस्य हैं।

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