अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन वैश्विक शिखर बैठक के लिए नई दिल्ली पहुंच चुके हैं। जहां वह संयुक्त राज्य अमेरिका को चीन और रूस के लिए एक आर्थिक और रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश करेंगे। इसके साथ ही दो देशों के नेताओं की अनुपस्थिति का लाभ उठाने का भी उनके पास अवसर होगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस बैठक में शामिल नहीं होंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने संवाददाताओं से कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जी 20 शिखर सम्मेलन में प्रतिभागियों को वीडियो संबोधन की योजना नहीं बना रहे हैं, जहां काम विशेष रूप से रूस के शीर्ष राजनयिक सर्गेई लावरोव द्वारा किया जाएगा।
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आने वाली जी20 समिट में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी नहीं जुडेंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, ‘पूतिन की ऐसा करने की कोई योजना नहीं है। साथ ही सारा काम विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ही करेंगे।’ हालांकि, इससे पहले हुई ब्रिक्स समिट में शामिल होने रूसी राष्ट्रपति जोहानिसबर्ग नहीं गए थे। रूसी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ही की थी। लेकिन जोहानिसबर्ग समिट में रूसी राष्ट्रपति ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भाषण दिया था। उस वक्त उन्होंने यूक्रेन युद्ध के लिए पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहराया था। कहा था कि उनकी वजह से ही यूक्रेन में संघर्ष देखने को मिला। पूतिन के ऊपर मार्च से ही आईसीसी का वॉरंट जारी है, जिसकी वजह से वह जोहानिसबर्ग नहीं जा पाए थे। दरअसल, दक्षिण अफ्रीका इंटरनैशनल क्रिमिनल कोर्ट के नियमों से बंधा था और पूतिन पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी थी। हालांकि, भारत आईसीसी के क्षेत्राधिकार को नहीं मानता, लेकिन इसके बावजूद पूतिन जी20 से दूर रहेंगे।
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यूक्रेन से जंग के बाद रूसी राष्ट्रपति न केवल विदेशों बल्कि अपने देश में भी घिरे हुए हैं। इस वजह से वे रूस से बाहर जाने से बच रहे हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार पुतिन चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव फोरम के तहत अक्टूबर में होने वाले तीसरे फोरम में शामिल होंगे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी वैश्विक स्तर पर चीन और रूस में खूब बन रही है। अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए भी दोनों देश एक दूसरे का साथ दे रहे हैं। चीन पुतिन के दौरे के लिए सबसे मुफीद जगह है।