आज ही दिन मनाया जाता है Pulses Day, क्या है इस दिन का इतिहास और क्यों जरूरी हैं दालें

हर साल 10 फरवरी को दालों के पोषण और पर्यावरणीय लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से विश्व दलहन दिवस मनाया जाता है। कई जगहों पर दालों को फलिया भी कहा जाता है, इन्हें वैश्विक खाद्य पदार्थ माना जाता है, और लगभग दुनिया के हर देश में इसका उत्पादन किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2019 में विश्व स्तर पर दालों के बारे में जागरूकता और पहुंच बढ़ाने के लिए एक दिन दालों को समर्पित किया। प्रोटीन को शरीर के लिए बेहद जरूरी माना गया है और दालों को प्रोटीन का भंडार माना जाता है। दालों को जिस अनाज से तैयार किया जाता है, उस अनाज को दलहन कहा जाता है।
क्या है दलहन दिवस का इतिहास ?
संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने लोगों को दाल से जुड़े तमाम फायदे और इसमें मौजूद पोषण के बारे में बताने के लिए 20 दिसंबर 2013 में प्रस्ताव से अंतरराष्ट्रीय दलहन दिवस मानने का निर्णय लिया और साल 2016 को अंतरराष्ट्रीय दलहन वर्ष घोषित किया। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2019 में 10 फरवरी को विश्व दाल दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया। तब से हर साल 10 फरवरी को दलहन दिवस मनाया जाता है।
सतत भविष्य के लिए जरूरी हैं दालें
वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, दालें कृषि-खाद्य प्रणालियों और पर्यावरण को कई लाभ प्रदान करती हैं। इस प्रकार संचालन समिति ने 2023 के लिए विषय के रूप में ‘एक सतत भविष्य के लिए दलहन’ का चयन किया जाता है। इस वर्ष इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए मिट्टी की उत्पादकता में सुधार, कृषि प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ाने, पानी की कमी वाले वातावरण में किसानों के लिए बेहतर जीवन प्रदान करने आदि में दालों के योगदान को उजागर किया जा रहा है।
शरीर के लिए आवश्यक है प्रोटीन
हमारे शरीर में कोशिकाओं को रिपेयर करने के साथ ही उनके निर्माण में भी प्रोटीन मदद करता है। हमारा शरीर थोड़ा-थोड़ा प्रोटीन तोड़ता है। ऐसे में शरीर को प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा न मिले, तो शरीर में इसकी कमी हो जाएगी। इसलिए हर किसी के लिए रोजाना की डाइट में प्रोटीनयुक्त चीजें लेना बहुत जरूरी बताया जाता है। वैसे तो प्रोटीन के कई सोर्स हैं, लेकिन वेजिटेरियन लोगों के लिए दालों को प्रोटीन का सबसे बड़ा सोर्स माना जाता है। दालें भारतीय खानपान में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी खान पान का हिस्सा हैं।