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पुतिन ने शांति वार्ता के लिए आर्मीनिया, अजरबैजान के नेताओं की मेजबानी की

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को आर्मीनिया और अजरबैजान के नेताओं की मेजबानी की, ताकि पूर्व सोवियत संघ के दोनों पड़ोसियों के बीच लंबे समय से जारी टकराव के समाधान की कोशिश की जा सके।
शांति वार्ता ऐसे वक्त हुई है जब रूस की सेना ने नौवें महीने में प्रवेश कर चुके यूक्रेन युद्ध में उसके महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के अपने अभियान को तेज कर दिया है।

काला सागर तट स्थित सोची शहर में आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन के साथ शुरुआती बैठक में पुतिन ने कहा कि लक्ष्य शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना तथा आर्मीनिया के आर्थिक और सामाजिक विकास में मदद करने के लिए परिवहन बुनियादी ढांचे की बाधाओं को दूर करना है।
उन्होंने त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन से पहले अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव के साथ भी अलग बैठक की।
नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच दशकों से संघर्ष जारी है।

यह क्षेत्र अजरबैजान का हिस्सा है, लेकिन 1994 में अलगाववादी संघर्ष समाप्त होने के बाद से आर्मीनिया द्वारा समर्थित जातीय आर्मीनियाई बलों के नियंत्रण में है।
पुतिन ने सोमवार को कहा, ‘‘हम आर्मीनिया-अजरबैजान सीमा पर और काराबाख के आसपास जो हो रहा है, उसके प्रति अपने सहयोगियों के दृष्टिकोण को देख रहे हैं। यह संघर्ष एक दशक से जारी है, इसलिए हमें अब इसे समाप्त करने की आवश्यकता है।’’

पशिनियन और इल्हाम अलीयेव के साथ पुतिन की बातचीत 2020 के शांति समझौते के क्रियान्वयन से संबंधित है, जिसके लिए रूस ने मध्यस्थता की थी। वर्ष 2020 में छह सप्ताह के युद्ध के दौरान अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख और आस-पास के क्षेत्रों के कई इलाकों को फिर से प्राप्त कर लिया, जिस पर आर्मीनिया की सेना ने दशकों तक कब्जा बनाए रखा। लड़ाई में 6,700 से अधिक लोग मारे गए।
इस साल सितंबर में संघर्ष का एक नया दौर शुरू हुआ, जब दोनों पक्षों के 200 से अधिक सैनिक मारे गए। आर्मीनिया और अजरबैजान ने संघर्ष शुरू करने के लिए एक दूसरे पर दोष मढ़ा।

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