डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कदम रखते ही टैरिफ वॉर छेड़ दी है। अमेरिका ने पहले तो कनाडा, मैक्सिको और चीन पर जबरदस्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। लेकिन किसी तरह कनाडा और मैक्सिको ने इसके लिए ट्रंप को मना लिया। फिलहाल 30 दिनों के लिए दोनों देशों को मोहलत दे दी है। लेकिन चीन का नंबर अभी तक नहीं लगा। चीन पर लगा 10 प्रतिशत टैरिफ एक फरवरी से शुरू हो चुका है। इसका असर 48 घंटे के अंदर ही दिखने लगा है। फैक्ट्रियां बद हो रही हैं, कई जगहों पर जनता शी जिनपिंग के खिलाफ उतर आई है। चीन ने खुद को वैसे तो दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में पेश किया था। लेकिन ड्रैगन के सारे दावे अंदर से खोखले साबित हो रहे हैं। दरअसल, ट्रंप के टैरिफ लगते ही चीन में एक्सपोर्ट बेस्ड इकोनॉमी को सबसे बड़ा झटका लगा है। कई बड़ी कंपनियां चीन छोड़कर वियतनाम, कंबोडिया और भारत का रुख कर रही हैं।
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कई लोग जो इन फैक्ट्रियों में काम कर रहे थे वे अचानक बेरोजगार हो गए। ऐसे में फैक्ट्री के मालिक अब जिनपिंग सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर इसका समाधान क्या है? चीन की इकोनॉमी पूरी तरह एक्सपोर्ट पर निर्भर थी। लेकिन अब ये मॉडल बुरी तरह फ्लॉप हो रहा है। चीन की अपनी ही कंपनियां अब दूसरे देशों में शिफ्ट कर रही हैं क्योंकि उन्हें पता है कि अगले चार सालों तक ट्रंप की नीति नहीं बदलेगी। 2023 में ही चीन की जीडीपी ग्रोथ तीस साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी। लेकिन 2024 आते आते हालात और भी खराब होते गए। आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक और फिच रेटिंग जैसी संस्थाओं ने जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को 50 प्रतिशत तक कम कर दिया है। पहले जहां जीडीपी ग्रोथ 4.5 प्रतिशत तक जाने की उम्मीद थी। अब ये 2 प्रतिशत के नीचे जाने की संभावना है। मतलब चीन की इकोनॉमी ठप्प होने की कगार पर है। चीन का रियल एस्टेट सेक्टर पहले ही क्रैश कर चुका है।
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मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की हालात भी खराब होती जा रही है। डोमेस्टिक कंजम्सन कम होने के कारण आम लोगों की बचत खत्म हो रही है। चीन 120 से अधिक देशों के लिए प्रमुख व्यापार भागीदार है और अमेरिका उनमें से एक है। पिछले दो दशकों में चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था में व्यापार के महत्व को लगातार कम किया है और घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी की है। आज आयात और निर्यात का चीन के सकल घरेलू उत्पाद में केवल 37% हिस्सा है, जबकि 2000 के दशक की शुरुआत में यह 60% से अधिक था। 10% टैरिफ बहुत चुभेगा। इतिहास गवाह है कि जब भी इकोनॉमी खराब होती है जनता का गुस्सा सड़कों पर दिखता है। अब यही सब चीन में हो रहा है। कई शहरों में फैक्ट्री वर्कर्स सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।