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राइट्स ग्रुप ने कहा कि Myanmar की सेना प्रतिरोध को दबाने के लिए हवाई हमले बढ़ा रही है

म्यांमा की सेना सत्ता पर कब्जा करने के दो वर्षों बाद सशस्त्र प्रतिरोध का दमन करने की कोशिशों के तहत हवाई हमलों में वृद्धि कर रही है और इसने देश को एक लंबे गृह युद्ध में झोंक दिया है। मानवाधिकारों की निगरानी करने वाले एक समूह ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
गैर सरकारी संगठन म्यांमा विटनेस और अन्य विशेषज्ञों के मुताबिक, म्यांमा की सेना अपने सहयोगी देशों रूस और चीन द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले लड़ाकू विमानों और युद्धक हेलीकॉप्टर पर निर्भर है।

संगठन ने पिछले साल जुलाई से मध्य दिसंबर तक किये गये 135 हवाई हमले की घटनाओं से जुड़ी जानकारियों का संकलन किया है, जिसमें कहा गया है कि सितंबर से हवाई हमलों की संख्या में वृद्धि होने की प्रवृत्ति दर्ज की गई।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘म्यांमा की सेना प्रतिरोध वाले इलाकों पर कब्जा कायम रखने में संघर्ष कर रही है, ऐसे में हवाई हमले उनके आक्रमण का एक मुख्य हिस्सा बन गये हैं।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘सेना म्यांमा के लोगों को एक खतरनाक स्थिति में डाल रही है, मकानों, स्कूलों और उपासना स्थलों को नष्ट कर रही है, जबकि ये स्थान नागरिकों के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।’’

भूमिगत संगठन ‘नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट’ के जनवरी के एक बयान के मुताबिक, हवाई हमलों में 460 नागरिक मारे गये हैं, जिनमें ज्यादातर बच्चे हैं।
हालांकि, म्यांमा की सेना ने अपनी कार्रवाई का बचाव करते हुए इसे आतंकी गतिविधियों के खिलाफ लड़ाई और वैध सैन्य लक्ष्य बताया है।
मानवाधिकार निगरानी समूह असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स के मुताबिक, देश में सैन्य तख्तापलट के बाद 2,901 नागरिक मारे गये हैं। हालांकि, मृतकों की संख्या काफी अधिक होने की संभावना है क्योंकि संगठन दूरदराज के क्षेत्रों में और युद्धग्रस्त क्षेत्रों में हताहतों की संख्या को आसानी से सत्यापित नहीं कर सका है।
जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मामलों की प्रोफेसर क्रिस्टिना फिंक ने कहा, ‘‘म्यांमा की सेना रूस और चीन से लड़ाकू विमान खरीद रही है।

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