रूस ने यूक्रेन में युद्ध के लिए शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए सऊदी अरब में अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों की बैठक में नहीं बुलाए जाने पर नाराजगी व्यक्त की है। लगभग 40 देशों के वरिष्ठ अधिकारी दो दिवसीय बैठक के लिए जेद्दा में एकत्र हुए, जिसका उद्देश्य 17 महीने से अधिक समय से चले आ रहे संघर्ष को कैसे समाप्त किया जाए, इसके प्रमुख सिद्धांतों पर सहमत होना था। रूस के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन में युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए सऊदी अरब में अंतरराष्ट्रीय नेताओं की हुई बैठक की आलोचना की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस बातचीत का कोई महत्व नहीं है, क्योंकि रूस को इसमें आमंत्रित नहीं किया गया था। रूस के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि लेकिन रूस की भागीदारी के बिना और इसके हितों को ध्यान में रखे बगैर इस बैठक का कोई महत्व नहीं है।
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भारत की ओर से डोभाल हुए शामिल
भारत की तरफ से मोदी के जेम्स बांड कहे जाने वाले अजित डोभाल भी इसमें शामिल हुए। डोभाल ने इस मीटिंग से दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया कि यूक्रेन में शांति जरूरी है, लेकिन रूस को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। डोभाल ने सुझाया है कि यूक्रेन के लिए प्रस्ताव बनने की सूरत में रूस का उसमें होना बेहद ही जरूरी है। उनका ये बयान बताने के लिए भी काफी है कि भारत के लिए रूस की दोस्ती आज उतनी ही आवश्यक है जितनी युद्ध के पहले थी।
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रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने राज्य मीडिया ने यह कहते हुए उद्धृत किया कि बैठक ज़ेलेंस्की की स्थिति के पीछे ग्लोबल साउथ को लामबंद करने के लिए पश्चिम के निरर्थक, विनाशकारी प्रयासों को जारी रखने के प्रयास का प्रतिबिंब थी। जबकि पश्चिमी देशों ने मोटे तौर पर यूक्रेन का समर्थन किया है, कई अन्य देश पक्ष लेने के लिए अनिच्छुक रहे हैं, भले ही वे उस संघर्ष का अंत चाहते हैं जिसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने एक बयान में कहा कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की के शांति सूत्र को बढ़ावा देकर यूक्रेन और पश्चिमी देश अन्य देशों की ओर से उठाए जा रहे शांति समझौते के प्रयासों को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।