डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण से पहले रूस से बड़ा बयान सामने आया है। रूस अमेरिका के बीच रिश्तों में सुधार मुश्किल होने की बात कही गई है। रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमेत्री मेदवदेव की तरफ से ये बयान सामने आया है। दिमेत्री मेदवदेव ने कहा है कि अमेरिका से संबंध सामान्य होने में दशकों का वक्त लग जाएगा। एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी टीम को क्रेमलिन से संपर्क साधने को कहा है। दूसरी तरफ रूस से इस तरह के बयान सामने आ रहे हैं। अमेरिका और रूस के बीच रिश्तें बेहद ही खराब हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि बाइडेन कार्यकाल में रूस से संबंध खराब स्तर पर हैं। बाइ़डेन ने अपने कार्यकाल में कई गलतियां की हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि दोनों देशों के रिश्तों में सुधार बहुत मुश्किल है।
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दरअसल, दुनिया को ट्रंप शासनकाल में संबध बेहतर होने की उम्मीद हैं। ट्रंप रूस यूक्रेन जंग खत्म कराने की बात कह रहे हैं। लगातार वो इसे लेकर बयान देते आए हैं। ट्रंप राष्ट्रपति पुतिन से मिलने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में मेदवदेव को लग रहा है कि ये कोई आसान काम नहीं है। इसमें दशकों लग जाएंगे। लेकिन इस बयान के बाद इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि रूस की तरफ से हो सकता है कि प्रेशर टेक्टिस का इस्तेमाल किया जा रहा हो, जिससे ट्रंप पर थोड़ा और दबाव बढ़ाया जा सके। इस तरह की भी खबरें सामने आ रही हैं कि शपथ के बाद पुतिन से बात करेंगे। ट्रंप की टीम ने क्रेमलिन से इस बाबत संपर्क भी साधा है। ट्रंप की टीम लगातार रूस से अच्छे माहौल में बात करने का प्रयास कर रही है।
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वहीं दूसरी तरफ देखेंगे तो पाएंगे कि डोनाल्ड ट्रंप की शपथग्रहण से पहले यूक्रेन और भी ज्यादा आक्रमक नजर आ रहा है। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ट्रंप और पुतिन को लेकर बड़ा बयान भी दिया है। जेलेंस्की ने कहा कि पुतिन की आक्रमकता को डोनाल्ड ट्रंप खत्म कर सकते हैं। यानी अब ट्रंप से भी जेलेंस्की को बड़ी उम्मीदें हैं। ट्रंप मानसिक तौर पर ज्यादा मजबूत हैं। ये बयान इसलिए भी अहम माना जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से जंग में यूक्रेन लगातार पिछड़ रहा है। पूर्वी यूक्रेन में रूसी सेना आगे बढ़ी है। ऐसे में जेलेंस्की को भी ये नजर आ रहा है कि ट्रंप का हमारे साथ रहना और भी जरूरी है। यूक्रेनी सेना रूसी सेना को रोकने के लिए संघर्ष कर रही है। रूसी कब्जे वाले क्षेत्र को वापस लेने की संभावना कम ही है। रूस पर हमले तेज करने के लिए अमेरिकी मदद बहुत जरूरी है। अमेरिका के हथियारों का हिस्सा 25 फीसदी से ज्यादा है। यानी जेलेंस्की को जितनी उम्मीदें बाइडेन से थी, उतनी ही उम्मीदें डोनाल्ड ट्रंप से भी हैं।