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726वें दिन में रूस को मिली बड़ी सफलता, यूक्रेन के शहर अवदिव्का पर किया कब्जा, जानें क्या है इसके मायने?

रूस-यूक्रेन युद्ध का 726वें दिन व्लादिमीर पुतिन खुश तो जरूर होंगे। ख़ुशी इसलिए क्योंकि उसके सैनिकों ने एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की है।  पूर्वी यूक्रेनी शहर अवदीवका पर कब्ज़ा। रविवार (18 फरवरी) को, रूसी सैनिकों ने पूर्वी शहर अवदीवका के कई हिस्सों में झंडा फहराया, जब यूक्रेनी सेना एक दशक से बचाव कर रहे शहर के खंडहरों से जल्दबाजी में पीछे हट गई। पिछले साल मई में बखमुत शहर पर कब्ज़ा करने के बाद मॉस्को में अवदीवका का पतन देश की सबसे बड़ी जीत है और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण का आदेश देकर पूर्ण पैमाने पर युद्ध शुरू करने के लगभग दो साल बाद यह जीत हुई है। सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में सैनिक संयंत्र की एक इमारत पर रूसी झंडा फहराते हुए दिखाई दिये। यूक्रेन के सैन्य प्रमुख ने कहा था कि उन्होंने पूर्वी यूक्रेन में स्थित अवदिवका शहर से सैनिक वापस बुला लिये हैं, जहां बड़ी संख्या में सैनिकों ने पिछले चार महीनों में रूसी हमले का माकूल जवाब दिया।

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यूक्रेन के कमांडर कर्नल जनरल ओलेक्जेंडर सिरस्की ने फेसबुक पर एक संक्षिप्त बयान पोस्ट कर कहा कि उन्होंने यह फैसला घेरेबंदी से बचने और सैनिकों के जीवन की रक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया है। कमांडर इन चीफ ने कहा कि सैनिकों को दूसरे माकूल स्थानों पर भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे सैनिकों ने पूरी निष्ठा के साथ अपना सैन्य कर्तव्य निभाया और सर्वश्रेष्ठ रूसी सैन्य इकाइयों को नष्ट करने का हर संभव प्रयास किया। हमारी सेना ने संख्याबल और उपकरणों के मामले में भी दुश्मन को काफी नुकसान पहुंचाया है। बयान के मुताबिक, हम हालात को स्थिर बनाने और अपनी जगहों पर बने रहने के लिए कदम उठा रहे हैं।

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रूस ने पश्चिमी देशों पर उन समझौतों को तोड़ने का आरोप लगाया जो यूक्रेन में युद्ध को रोक सकते थे जबकि अमेरिका और उसके सहयोगियों ने सीधे तौर पर मास्को पर दोष मढ़ते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने छोटे पड़ोसी देश पर आक्रमण का आदेश दिया था। यूक्रेन पर 24 फरवरी 2022 को किए आक्रमण की दूसरी वर्षगांठ से कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वैसिली नेबेंजिया ने एक बार फिर युद्ध की वजह 2015 के मिन्स्क समझौते को लागू करने में विफलता बतायी, जिसके लिए उन्होंने पश्चिम देशों द्वारा समर्थित यूक्रेन की गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराया। इस समझौते का उद्देश्य यूक्रेन और रूस समर्थित अलगाववादियों के बीच संघर्ष को खत्म करना था जो अप्रैल 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे और अधिकांश रूसी भाषी औद्योगिक डोनबास क्षेत्र में अलगाववादियों को दिए उसके समर्थन के बाद से पैदा हुआ।

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