यूक्रेन पर रूसी हमले के एक साल पूरा होने से कुछ दिन पहले क्रेमलिन के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत ने दावा किया है कि पश्चिमी देश रूस को नष्ट करने की अपनी प्रतिबद्धता से प्रेरित है। राजदूत ने ऐलान किया कि, ‘‘हमारे पास अपने देश की रक्षा करने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं था-इसकी आपसे रक्षा करना, अपनी पहचान और भविष्य की रक्षा करना है।’’
पश्चिमी राजदूतों ने पलटवार करते हुए रूस पर सुरक्षा परिषद की बैठक का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। रूस ने अपने पड़ोसी देश यूक्रेन पर 24 फरवरी, 2022 को हमला किया था।
परिषद में शुक्रवार की बैठक ने युद्ध में शामिल पक्षों के बीच गहरे मतभेद पर प्रकाश डाला क्योंकि युद्ध दूसरे साल की ओर बढ़ रहा है और इसका अंत होता नहीं दिखता, जबकि हजारों लोग मारे जा चुके हैं और नये सैन्य हमलों की आशंका है।
सुरक्षा परिषद एकमात्र अंतरराष्ट्रीय स्थान है जहां रूस नियमित रूप से यूक्रेन और इसके पश्चिमी समर्थकों का सामना करता है।
संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वासिली नेबेंजिया ने फ्रांस और जर्मनी सहित पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया कि यूक्रेन और अलगाववादियों (लुहांस्क और दोनेत्सक के) के बीच संघर्ष के अंत के लिए दोनों देशों में हुए मिंस्क समझौते को लागू करने से वे ‘पीछे हट’ रहे हैं।
यूक्रेन के पूर्वी औद्योगिक क्षेत्र लुहांस्क और दोनेत्सक में ज्यादातर रूसी बोलने वाले लोग रहते हैं और यह क्षेत्र अप्रैल 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे के बाद से आंदोलित है।
नेबेंजिया ने कहा, ‘‘आप अच्छी तरह से जानते हैं कि आपके लिए मिंस्क प्रक्रिया चीजों को छिपाने के लिए सिर्फ एक ढाल है, ताकि यूक्रेन की सरकार को फिर से हथियारबंद करके और इसे आपके भू-राजनीतिक हित के नाम पर रूस के खिलाफ युद्ध के लिए तैयार किया जा सके।’’
फ्रांस के डी रिविएर ने कहा कि उनके देश और जर्मनी ने पक्षकारों के बीच बातचीत को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2015 से ‘अथक’ काम किया है।
अमेरिका के उपराजदूत रिचर्ड मिल्स ने रूस पर आरोप लगाया कि वह मिंस्क समझौते के तहत किये गये एक भी वादे पर अमल करने में नाकाम रहा, जबकि इस पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य देश- फ्रांस, जर्मनी, यूक्रेन और यूरोपीय सुरक्षा सहयोग संगठन इन्हें सद्भावना के तहत लागू करना चाहते हैं।