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भारत के पड़ोस में हर तरफ तबाही का मंजर, अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत,

नेपाल में बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या 200 के आंकड़े को पार कर गई। वहीं 30 अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। 27 सितंबर से लगातार बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन ने हिमालयी राष्ट्र में तबाही मचा ही है। नेपाल पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि लगातार बारिश, बाढ़, भूस्खलन और बाढ़ में कम से कम 192 लोग मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि इस आपदा में देश भर में 94 अन्य घायल भी हुए हैं, जबकि 30 अन्य लापता हैं। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ऋषिराम तिवारी के हवाले से माय रिपब्लिका न्यूज पोर्टल ने बताया कि सरकार ने खोज, बचाव और राहत कार्यों को उच्च प्राथमिकता दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश भर में सुरक्षा एजेंसियों को खोज, बचाव और राहत प्रयासों के लिए तैनात किया गया है और अब तक 4,500 से अधिक आपदा प्रभावित व्यक्तियों को बचाया गया है।

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घायलों को मुफ्त इलाज मिल रहा है, बाढ़ से प्रभावित अन्य लोगों को भोजन और अन्य आपातकालीन राहत सामग्री प्रदान की गई है। द काठमांडू पोस्ट अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में कई सड़कें गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई हैं, और राजधानी काठमांडू की ओर जाने वाले सभी मार्ग अभी भी अवरुद्ध हैं, जिससे हजारों यात्री फंसे हुए हैं। तिवारी ने कहा कि परिवहन फिर से शुरू करने के लिए बाधित राजमार्गों को साफ करने के प्रयास जारी हैं। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शुक्रवार और शनिवार को पूर्वी और मध्य नेपाल के बड़े हिस्से में लगातार बारिश के बाद काठमांडू की मुख्य नदी बागमती खतरे के स्तर से ऊपर बह रही थी।

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बंगाल की खाड़ी में कम दबाव की प्रणाली और मानसून ट्रफ की सामान्य से अधिक उत्तरी स्थिति असाधारण तीव्र बारिश के पीछे का कारण थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि जहां जलवायु परिवर्तन पूरे एशिया में वर्षा की मात्रा और समय को बदल रहा है, वहीं बाढ़ के प्रभाव में वृद्धि का एक प्रमुख कारण अनियोजित निर्माण सहित निर्मित पर्यावरण है, विशेष रूप से बाढ़ के मैदानों पर, जो पानी बनाए रखने और जल निकासी के लिए अपर्याप्त क्षेत्र छोड़ता है।

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