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TTP से पाकिस्तान की सेना और सरकार दोनों परेशान, ISI चीफ को साथ लिए शहबाज के मंत्री पहुंचे तालिबान के दरवाजे पर

पैसे पैसे को मोहताज पाकिस्तान इन दिनों आतंक के साथ दोहरी मार झेल रहा है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत इतनी खराब हो गई है कि मुल्क के वजूद पर ही खतरा मंडरा रहा है। आतंकवाद को पालने-पसोने वाले मुल्क के लिए अब उसका यही रवैया भारी पड़ रहा है। इसलिए अब आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए उसने तालिबान से मदद की गुहार लगाई है। पाकिस्‍तान के रक्षा मंत्री ख्‍वाजा आसिफ और बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ नदीम अंजुम के साथ अचानक से काबुल पहुंच गए हैं। बैठक का नेतृत्व काबुल में अफगानिस्तान के कार्यवाहक उप प्रधान मंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने किया।

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पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर अपने घरेलू इस्लामी समूह के आतंकवादियों को शरण देने का आरोप लगाया है, जिसका काबुल ने खंडन किया है। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, अब्दुल गनी बरादर के कार्यालय ने एक बयान में कहा, “उन्होंने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों, व्यापार, क्षेत्रीय संपर्क और आर्थिक सहयोग पर चर्चा की। रिपोर्ट के अनुसार तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) का जिक्र करते हुए क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ते खतरे से संबंधित एक और बयान जारी किया। तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने के बाद से, पाकिस्तान ने मुख्य रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवादी हमलों में नाटकीय वृद्धि देखी है। पिछले शुक्रवार को टीटीपी के एक आत्मघाती दस्ते ने कराची में एक पुलिस परिसर पर हमला किया, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई।

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बता दें कि ये कोई पहला मौका नहीं है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने एक रिपोर्ट की थी जिसमें बताया था कि शीर्ष समिति की बैठक के दौरान, पाकिस्तान के नागरिक और सैन्य नेतृत्व ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को नियंत्रित करने के लिए अफगान तालिबान प्रमुख हैबुतल्लाह अखुंदजादा के हस्तक्षेप की मांग करने का फैसला किया था। पाकिस्‍तान लगातार तालिबान पर दबाव डाल रहा है कि वह टीटीपी पर ऐक्‍शन ले लेकिन अफगान सरकार इससे बच रही है। यही नहीं तालिबान का मुखिया भी टीटीपी के प्रति सहानुभूति रखता है। माना जाता है कि अफगानिस्‍तान में टीटीपी के 10 हजार आतंकी हैं जो पाकिस्‍तान पर हमला करते रहते हैं। 

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