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शिया मुसलमानों ने कई देशों में ‘यौम-ए-आशूरा’ का जुलूस निकाला

ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और दुनिया के कई हिस्सों में शुक्रवार को ‘यौम-ए-आशूरा’ (इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम की 10 तारीख) का मातमी जुलूस निकाला गया। सातवीं सदी में इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद के नवासे हुसैन की शहादत की याद में ये मातमी जुलूस निकाले जाते हैं।
अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार ने इस आशंका के मद्देनजर कई अहम शहरों में मोबाइल फोन सेवा को बंद कर दिया है कि जुलूस के दौरान आतंकवादी शियाओं को निशाना बना सकते हैं। सुन्नी चरमपंथी शियाओं को विधर्मी मानते हैं।
वहीं पाकिस्तान में मातमी जुलूस को लेकर सुरक्षा बल चौकन्ने हैं, क्योंकि इन पर अतीत में हमले किए जा चुके हैं। हालांकि सभी शिया शुक्रवार को आशूरा का जुलूस निकाल रहे हैं।

इराक और लेबनान में शनिवार को आशूरा का मातमी जुलूस निकाला जाएगा। भारत में भी कल ही यह जुलूस निकाला जाएगा।
इराकी शहर करबला में जहां इमाम हुसैन का मकबरा स्थित है, वहां शिया समुदाय के लोग बड़ा जुलूस निकालेंगे।
दुनिया में मुस्लिमों की आबादी 1.8 अरब है जिनमें से 10 फीसदी शिया समुदाय की जनसंख्या है जो हुसैन को पैगंबर मोहम्मद का ज़ायज़ उत्तराधिकारी मानते हैं।
करबला की लड़ाई में दसवें दिन इमाम हुसैन को कत्ल कर दिया गया था। उनकी शहादत ने इस्लाम में मतभेद को काफी गहरा कर दिया था।

ईरान में सरकारी टीवी ने देशभर में निकाले गए जुलूस की तस्वीरें दिखाई और इस मौके पर पश्चिमी देशों, इज़राइल तथा अमेरिकी ड्रोन हमले की आलोचना की जिसमें ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की 2020 में मौत हो गई थी।
ईरान के सरकारी अंग्रेजी के प्रसारक ‘प्रेस टीवी’ के प्रस्तोता विसाम बहरानी ने अमेरिका को ‘इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन’ बताया और अमेरिका के सहयोगी मुस्लिम देशों की आलोचना की।
आशूरा पर लोगों ने काले कपड़े पहने और पुरुषों ने मातम किया। उन्होंने काले और लाल रंग की पट्टियां माथे पर बांधी हुई थी।

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