भारत का सबसे बड़ा और मजबूत साझेदार रूस और उसके राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नरेंद्र मोदी के पक्के दोस्त कहे जाते हैं। लेकिन आज की तारीख में कुच अलग हुआ। यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस के राष्ट्रपति चीन से कुछ चाहते हैं। निश्चित तौर पर चीन से रूस की अपेक्षाएं कुछ ज्यादा हैं। यूक्रेन युद्ध में चीन लगातार रूस को हथियार के जरिए मदद देता रहा। उसी चीन का दौरा करने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सबसे पहले पहुंच गए। पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद व्लादिमीर पुतिन ने अपना पहला विदेशी दौरा किया। ये पहला विदेशी दौरा चीन का था। रात के अंधेरे में व्लादिमीर पुतिन का स्पेशल विमान चीन की धरती पर लैंड करता है। उसके बाद उसमें से उतरकर पुतिन भारी सुरक्षा के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने के लिए निकल पड़ते हैं। चीन के दो दिवसीय दौरे पर पुतिन कई बड़े फैसले करने वाले हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात पर दुनिया की निगाहें हैं। कहा जा रहा है कि पुतिन ने इस दौरे से अपनी प्राथमिकताओं को लेकर दुनिया को एक मैसेज दिया है। पुतिन ने बता दिया कि शी जिनपिंग से उनके संबंध बहुत मायने रखते हैं।
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यूक्रेन पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं
विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन नीति में कोई बदलाव की संभावना नहीं है। पुतिन ने बीजिंग यात्रा की पूर्व संध्या पर चीनी मीडिया के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि क्रेमलिन यूक्रेन में संघर्ष पर बातचीत के लिए तैयार है। आधिकारिक शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बुधवार को पुतिन के हवाले से कहा कि हम यूक्रेन पर बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन ऐसी बातचीत में हमारे सहित संघर्ष में शामिल सभी देशों के हितों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ के साथ बुधवार सुबह प्रकाशित एक साक्षात्कार में पुतिन ने यूक्रेन संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन की योजना का समर्थन करते हुए कहा कि बीजिंग को इस बात की पूरी समझ है कि इसके पीछे क्या छिपा है।
शी का बैलेंस गेम
शंघाई स्थित अंतर्राष्ट्रीय संबंध विद्वान शेन डिंगली ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि जब पुतिन की बात आती है तो शी एक बारीक लाइन पर चल रहे हैं। चीन रूस को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है और पुतिन को उचित सम्मान देना चाहता है, लेकिन वह आर्थिक कारणों और उससे परे यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अच्छे संबंध भी बनाए रखना चाहता है। डिंग्ली ने कहा, यह बहुत कठिन संतुलनकारी कार्य है। शी ने हाल ही में 2019 के बाद यूरोप की अपनी पहली यात्रा की। फ्रांस, सर्बिया और हंगरी का दौरा करने वाले शी को जब यूरोप की बात आती है तो उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है – यूरोपीय बाजार तक पहुंच सुनिश्चित करते हुए चीनी कंपनियों के हितों की रक्षा करने की कोशिश करना। बीजिंग पश्चिम में अपनी छवि सुधारना चाहता है, और अपनी सुस्त अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद करने के लिए चीनी निर्यात तक पहुंच बनाए रखना चाहता है।
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क्या अचानक हुई पुतिन की यात्रा
रूसी राष्ट्रपति के विदेश नीति मामलों के सहयोगी यूरी उशाकोव ने कहा कि चीन को पुतिन की पहली विदेश यात्रा के लिए अचानक नहीं चुना गया था बल्कि पिछले साल अभूतपूर्व तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने के बाद शी द्वारा इसी तरह का मैत्रीपूर्ण कदम उठाने की प्रतिक्रिया में इसे निर्धारित किया गया है। उशाकोव ने कहा कि चीन के साथ बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बंद कमरे में अनौपचारिक वार्ता होगी और दोनों नेता यूक्रेन पर महत्वपूर्ण बातचीत करेंगे। रूसी राष्ट्रपति एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल लेकर आए हैं जिसमें पांच उप प्रधानमंत्री, आर्थिक, राजनयिक और सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों के साथ-साथ सैन्य-तकनीकी सहयोग संघीय सेवा के प्रमुख, रूसी रेलवे, रोसाटॉम परमाणु ऊर्जा निगम और रोस्कोस्मोस स्टेट कोरपोरेशन फॉर स्पेस एक्टीविटीज के प्रमुख शामिल हैं।
क्या बोले पुतिन
चीन पहुंचने के बाद पुतिन ने शी जिनपिंग की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्रीय हितों और आपसी विश्वास के आधार पर रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी के निर्माण में जिनपिंग ने अहम भूमिका निभाई है। दोनों देशों के बीच स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप की वजह से ही मैंने एक बार फिर रूस के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद चीन का सबसे पहला दौरा करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि हम उद्योग, उच्च तकनीक, स्पेस, न्यूक्लियर एनर्जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इनोवेटिव सेक्टर में सहयोग को और बढ़ाने की कोशिश करेंगे।