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कोलंबो । राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने रविवार को पांच साल के अंदर एक अलग फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना के लिए श्रीलंका के अटूट समर्थन को दोहराया। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि देश की वर्तमान दिवालिया अर्थव्यवस्था के बावजूद उदार सार्वजनिक योगदान से उनकी सरकार के गाजा बाल कोष में दस लाख डॉलर एकत्र किए गए, जिन्हें दान कर दिया गया है। विक्रमसिंघे ने ये टिप्पणियां गाजा के प्रभावित लोगों के लिए पूर्वी प्रांत के मुस्लिम बहुल कट्टनकुडी में जुम्मा मस्जिद में आयोजित विशेष सेवा में भाग लेने के दौरान कीं। हमास के चरमपंथियों ने पिछले साल सात अक्टूबर को इजराइल पर हमला किया था, जिसमें करीब 1,200 लोग मारे गए थे और करीब 250 लोगों को बंधक बना लिया गया था।
तब से गाजा पट्टी पर इजराइल नियमित रूप से बमबारी कर रहा है, जिसमें 37,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं। उन्होंने कहा, “गाजा संघर्ष को लेकर श्रीलंका का रुख कभी नहीं बदलेगा, पांच साल में एक स्वतंत्र फलस्तीन देश की स्थापना के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए और नागरिकों की हत्या बंद होनी चाहिए।” विक्रमसिंघे ने कहा, “हमास से जुड़ी समस्याओं का फर्क आम लोगों पर नहीं पड़ना चाहिए।
हम सभी को फलस्तीन समस्या का समाधान खोजने में सहायता करनी चाहिए। फलस्तीन देश की स्थापना पांच साल से पहले की जानी चाहिए। इस बारे में बात करके समय बर्बाद करना ठीक नहीं होगा, जैसा कि हमने पिछले 40-50 साल से किया है। इजराइल की सुरक्षा चिंताओं का समाधान अलग से किया जाना चाहिए।” श्रीलंका सरकार ने देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था के दिवालिया होने के बावजूद गाजा बाल कोष की स्थापना का निर्णय लिया। विक्रमसिंघे ने कहा, “हमने दस लाख डॉलर दान किए, हमने जनता से योगदान मांगा और हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिली।” उन्होंने गाजा के बच्चों के हित में एकजुटता प्रदर्शित करते हुए मस्जिद के न्यासियों से दान का चेक स्वीकार किया।