श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कनाडा के शीर्ष राजनयिक को यहां तलब किया और दो पूर्व राष्ट्रपतियों सहित उसके चार नागरिकों पर एकतरफा प्रतिबंध लगाने के उनके देश के फैसले पर नाराजगी जताई।
कनाडा ने मंगलवार को श्रीलंका में गृह युद्ध के दौरान मानवाधिकारों के घोर और सुनियोजित उल्लंघन के लिए पूर्व राष्ट्रपतियों गोटबाया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे सहित चार श्रीलंकाई नागरिकों पर प्रतिबंध लगाए।
स्टाफ सार्जेंट सुनील रत्नायके और लेफ्टिनेंट कमांडर चंदना पी हेत्तियाराच्चिथे पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं।
प्रतिबंधों पर अपनी प्रतिक्रिया के तौर पर विदेश मंत्रालय ने कोलंबो में कनाडा के कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब किया और कनाडाई सरकार के इस कदम पर सरकार की नाराजगी से उन्हें अवगत कराया।
विदेश मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, विदेश मंत्री अली साबरी ने कनाडा के कार्यवाहक उच्चायुक्त डैनियल बूड को विदेश मंत्रालय में तलब किया …, और बेबुनियाद आरोपों के आधार पर कनाडा सरकार द्वारा श्रीलंका के दो पूर्व राष्ट्रपतियों सहित चार व्यक्तियों के खिलाफ एकतरफा प्रतिबंधों की घोषणा पर सरकार की ओर से गहरा खेद व्यक्त किया।
इससे पहले, विदेश मामलों के राज्य मंत्री तारका बालासुरिया ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपतियों पर प्रतिबंध असामयिक था और इसका उद्देश्य कनाडा में घरेलू तत्वों को शांत करना था।
उन्होंने कहा कि राजपक्षे बंधुओं पर प्रतिबंध लगाने का कनाडा का फैसला ऐसे समय में आया है जब श्रीलंका युद्ध के बाद की सुलह प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
उनके हवाले से कोलंबो गजट अखबार ने कहा था, यह दिखाता है कि हमारे दोस्त वास्तव में कौन हैं और कौन नहीं हैं।
देश के आर्थिक संकट पर बड़े पैमाने पर विरोध के बाद गोटाबाया राजपक्षे पिछली गर्मियों में अस्थायी रूप से अपने देश से भाग गए, जबकि महिंदा ने पिछले वसंत में प्रधानमंत्री के अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।