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कंधार विमान अपहरण की कहानी, जब अपने लोगों के बदले भारत को मसूद अजहर जैसे ग्लोबल टेररिस्ट को छोड़ना पड़ा

24 दिसंबर 1999 ये तारीख तो आपको अच्छे से याद होगी। ये वो दिन है जिसने भारत की राजनीति बदली, तालिबान नाम के आतंक की ग्लोबल शक्ल आपको दिखाई दी। साथ ही भारत और पाकिस्तान संबंधों से लेकर भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक समझ की एक नई परिभाषा लिखी गई। ये नेपाल से उड़े इंडियन एयरलाइंस के विमान IC 814 के अपहरण का दिन था।  तत्कालीन एनडीए सरकार को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चत करने के लिए तीन आतंकवादियों को कंधार ले जाकर रिहा करना पड़ा था। तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के विदेश मंत्री जसवंत सिंह खुद तीन आतंकवादियों को अपने साथ कंधार ले गए थे। छोड़े गए आतंकवादियों में जैश-ए -मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, अहमद जरगर और शेख अहमद उमर सईद शामिल थे। 31 दिसंबर को सरकार और अपहरणकर्ताओं के बीच समझौते के बाद दक्षिणी अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर अगवा रखे गए सभी 155 बंधकों को रिहा कर दिया गया। 
कौन है मसूद अजहर
मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी मौलाना मसूद अज़हर का जन्म बहावलपुर, पाकिस्तान में 10 जुलाई 1968 को हुआ था। उसके 9 अन्य भाई-बहन थे। कुछ एजेंसियां उसके जन्म की तारीख 7 अगस्त, 1968 बताती हैं। अजहर के पिता अल्लाह बख्श शब्बीर एक सरकारी स्कूल का प्रधानाध्यापक था। उसका परिवार डेयरी और पॉल्ट्री के कारोबार से जुड़ा था। इस आतंकी ने बानुरी नगर, कराची के जामिया उलूम उल इस्लामिया नामक मदरसे से तालीमा हासिल की और वहीं उसका सम्पर्क हरकत-उल-अंसार नामक संगठन से हुआ जो उस वक्त अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन था। वह उर्दू पत्रिका साद-ए-मुजाहिद्दीन और अरबी पत्रिका सावत-ए-कश्मीर का संपादक भी था।

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मौलाना फजलुर रहमान मसूद अजहर से प्रभावित हुआ और उसने उसे आतंकवाद के लिए फंड रेजिंग का काम सौंप दिया और मसूद अजहर भी इस काम में अच्छा निकला और उसने हरकत उल मुजाहिदीन को खूब फायदा पहुंचाया. फंड रेजिंग के दौरान अपने द्वारा दिए गए भाषणों ने मसूद अजहर को लोकप्रिय बना दिया। 1999 में मौलाना मसूद अजहर ने आईएसआई की मदद से अपना खुद का संगठन जैश-ए-मोहम्मद बनाया।

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