इन दिनों दुनियाभर में यूएस के फाइनेंसियल क्राइसिस के बारे में बात हो रही है। क्या अमेरिका किसी बड़े संकट में फंस गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रिपब्लिकन हाउस के स्पीकर केविन मैक्कार्थी ने देश की ऋण सीमा को बढ़ाने पर चर्चा करने के लिए हाल ही में एक बैठक की है। ये बैठक इस बात को लेकर की गई है कि अमेरिकी संघीय सरकार अपने खातों का भुगतान करने के लिए कितना उधार ले सकती है। हालांकि दोनों की बातचीत के बाद अभी तक कोई समझौता नहीं बन पाया है। ऋण सीमा बढ़ाने की संभावित समय सीमा से ठीक 10 दिन पहले ये डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति और रिपब्लिकन स्पीकर के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण है।
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गौतम अडानी के नेटवर्थ से भी कम कैश बचा
अमेरिका में डेब्थ सीलिंग का संकट लगातार गहराता जा रहा है। अगर जल्दी समाधान नहीं निकला तो देश अपने इतिहास में पहली बार डिफॉल्टर बन सकता है। देश के पास केवल 57 अरब डॉलर का कैश रह गया है जो गौतम अडानी की नेटवर्थ से भी कम है। ब्लूमबर्ग की बिलेनियर इंडेक्स के अनुसार अडानी की नेटवर्थ 64.2 अरब डॉलर है। अमेरिका को रोजाना 1.3 अरब डॉलर इंटरेस्ट के रूप में देने पड़ रहे हैं।
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क्या होगा इसका असर
अगर अमेरिकी सरकार ने जल्द ही इस समस्या का हल नहीं किया तो भारत समेत दुनियाभर में इसका असर पड़ना तय है। गोल्डमैन सैश ने अनुमान जताया है कि अमेरिका अगर अपने कर्ज संकट को खत्म नहीं करता है, तो आने वाले तीन हफ्तों में कैश खत्म हो जाएगा. इंवेस्टमेंट बैंक का कहना है कि 8 या 9 जून तक ट्रेजरी डिपार्टमेंट के पास कैश गिरकर 30 बिलियन डॉलर रह जाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए ये कैश बहुत कम है।