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सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करने वालों के खिलाफ Army Act के तहत कार्रवाई का समर्थन

पाकिस्तान के शीर्ष सुरक्षा निकाय ने नौ मई को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ सेना अधिनियम और आधिकारिक गोपनीयता कानून के तहत कार्रवाई करने के शीर्ष सैन्य कमांडरों के फैसले का समर्थन किया है।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) ने मंगलवार को हिंसक हमलों में शामिल सभी लोगों, उनके मददगारों और उन नेताओं पर 72 घंटे के भीतर कार्रवाई करने का फैसला किया, जिनके उकसावे पर इन लोगों ने तोड़फोड़ की थी।

हालांकि, एमनेस्टी इंटरनेशनल और पाकिस्तान के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे अधिकार समूहों ने दंगाइयों के खिलाफ सख्त सेना अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने के प्रस्तावित कदम की कड़ी आलोचना की है।
एमनेस्टी इंटरनेशन की दक्षिण एशिया इकाई के उप क्षेत्रीय निदेशक दिनुशिका दिस्सानायाके ने कहा, ‘‘यह ध्यान देने वाली बात है कि पाकिस्तानी सेना ने संभवत: सैन्य अदालतों में सैन्य कानूनों के तहत आम नागरिकों पर मुकदमा चलाने की अपनी मंशा जाहिर की है। सैन्य अदालतों में नागरिकों पर मुकदमा चलाना अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है।’’

दिनुशिका ने एक बयान में इसे लोगों को ‘‘भयभीत करने की चाल’’ करार दिया।
वहीं, पाकिस्तान के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ट्वीट किया, ‘‘हम नागरिकों पर मुकदमा चलाने के लिए पाकिस्तानी सेना अधिनियम 1952 और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम 1923 का इस्तेमाल करने के कदम का पुरजोर विरोध करते हैं।’’
नौ मई को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के परिसर से भ्रष्टाचार के एक मामले में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद पूरे पाकिस्तान में हिंसा भड़क उठी थी।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के समर्थकों ने कई इमारतों और वाहनों में आग लगा दी थी और पुलिस तथा सैन्य कर्मियों के साथ-साथ सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया था, जिसमें 10 लोग मारे गए थे।

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