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Prabhasakshi Exclusive: Syrian President Bashar al-Assad को अपना अहम पार्टनर बनाकर Xi Jinping ने पश्चिमी देशों का BP बढ़ा दिया है

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि सीरिया के राष्ट्रपति की चीन यात्रा का क्या आशय है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि दरअसल गृह युद्ध में फँसे सीरिया की अर्थव्यवस्था पूरी तरह तबाह हो चुकी है, ऐसे में राष्ट्रपति बशर अल असद को सैन्य तथा बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिए आर्थिक मदद चाहिए जो उन्हें इस समय चीन ही दे सकता है क्योंकि सीरिया का सबसे बड़ा मददगार रूस इस समय मदद करने की स्थिति में नहीं है साथ ही ईरान भी सहायता नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ कुर्दिशों को अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल से सहायता मिल रही है तो दूसरी ओर असद के लिए त्राहिमाम की स्थिति है। उन्होंने कहा कि सीरिया के बड़े इलाकों पर अब भी लड़ाकों का कब्जा है, आईएसआईएस वहां सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है, 12 साल से चल रहे गृहयुद्ध में पांच लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, 50 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, 60 लाख से ज्यादा लोगों को पलायन करना पड़ गया है, कई इलाकों को तुर्की ने कब्जा लिया है, ऐसे में वहां हालात बेहद ही खराब हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सीरिया के खिलाफ प्रतिबंध या प्रतिबंधात्मक कदमों के जो भी प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में लाये गये उनको चीन ने 8 बार वीटो लगाकर लागू होने से रोका, ऐसे में सीरिया जानता है कि चीन ही उसकी आगे भी मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि एशियन गेम्स के बहाने सीरिया के राष्ट्रपति चीन गये हैं जोकि अपने आप में इसलिए भी महत्व रखता है क्योंकि इससे पहले 2004 में सीरियाई राष्ट्रपति का चीन दौरा हुआ था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के साथ मुलाकात के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जिस रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है उससे पश्चिमी देशों को चेत जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक और चीज साफ हो रही है कि रूस पहले जहां-जहां प्रभावी भूमिका में था, वह वहां से अब पीछे हट रहा है और उसकी जगह चीन लेता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सीरिया चीनी राष्ट्रपति की महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई का भी हिस्सा बन चुका है। उन्होंने कहा कि चीनी राष्ट्रपति भी अरब देशों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने का यह अच्छा मौका देख रहे हैं इसलिए वह सीरिया के करीब गये हैं।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन-सीरिया रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की जो घोषणा संयुक्त रूप से की गयी है, वह दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन जायेगी। उन्होंने कहा कि सीरियाई राष्ट्रपति की चीन यात्रा से पहले जैसा लग रहा था वैसा ही हुआ क्योंकि बशर अल-असद ने चीन पहुँचते ही अपने देश के पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय सहायता मांगी। उन्होंने कहा कि असद की चीन यात्रा तब हो रही है जब चीन मध्य पूर्व में अपने लिए एक शक्तिशाली भूमिका की तलाश में है और उन देशों की मदद करना चाहता है जिन्हें अमेरिका और पश्चिमी देशों ने तिरस्कृत किया हुआ है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि बशर अल-असद की यात्रा लगभग दो दशकों में उनकी चीन की पहली यात्रा है और यह तब हो रही है जब उन्होंने सीरिया की वैश्विक छवि को नये सिरे से स्थापित करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि सीरिया में हालात बिगड़ने के बावजूद चीन ने सीरिया के साथ राजनयिक संबंध बनाए रखे थे जबकि अन्य देशों ने 2011 में अरब स्प्रिंग विद्रोह के खिलाफ बशर अल-असद की ओर से की गयी क्रूर कार्रवाई के कारण उनको अलग-थलग कर दिया था। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों का मानना है कि असद ने अपने देश को गृह युद्ध में झोंका। पश्चिमी देशों ने असद की सरकार पर अपने ही लोगों के खिलाफ रासायनिक हथियारों का उपयोग करने, गुप्त जेलों में हजारों विरोधियों को यातना देने तथा कस्बों और शहरों में कत्लेआम करने के आरोप लगाये।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अब असद अपने देश के पुनर्निर्माण में मदद के लिए निवेश की तलाश में हैं। उन्होंने कहा कि सीरिया पर पश्चिमी देशों की ओर से लगाये गये प्रतिबंधों के कारण युद्धग्रस्त देश सीरिया का पुनर्निर्माण रुका हुआ है। उन्होंने कहा कि एक तो सीरिया पर पश्चिमी और कई यूरोपीय देशों ने प्रतिबंध लगाया हुआ है साथ ही संयुक्त राष्ट्र में भी प्रस्ताव पारित हुआ है कि सीरिया में बिना राजनीतिक समाधान के किसी भी पुनर्निर्माण के लिए धन नहीं दिया जायेगा, इसलिए अब असद ने चीन की शरण ली है। 
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन की ओर से सीरिया को जो मदद दी जायेगी उसमें कोई राजनीतिक शर्तें नहीं रखी गयी हैं। उन्होंने कहा कि चीन देख रहा है कि असद अपने देश में धीरे-धीरे फिर से प्रभावी हो रहे हैं क्योंकि उन्होंने रूस और ईरान के समर्थन से देश के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण वापस पा लिया है। लेकिन असद के पास इस समय टूटा और बिखरा हुआ तथा गरीब देश है जो आर्थिक संकट और भुखमरी का सामना कर रहा है। समस्याओं को लेकर वहां विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हाल में आये भूकंप से वह भी तबाह हो गया जोकि अब तक बचा हुआ था, ऐसे में उन्हें मदद की सख्त जरूरत है। 
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन से मदद पाने के लिए ही सीरियाई राष्ट्रपति ने 2022 में घोषणा की थी कि वह चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल होंगे। चीन के करीब जाने के लिए उन्होंने मार्च में ईरान और सऊदी अरब के बीच संबंध बहाल करने के लिए समझौता कराने में चीन की भूमिका की भी सराहना की थी। उन्होंने कहा कि असद की ताकत में तब और इजाफा हुआ था जब मई महीने में सीरिया को अरब लीग में फिर से शामिल कर लिया गया था हालाँकि कुछ देशों के साथ अभी सीरिया के पूर्ण राजनयिक संबंध नहीं स्थापित हो पाए हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह भी उम्मीद है कि चीन देश पर असद सरकार का नियंत्रण बहाल करने के लिए सीरिया, तुर्की, ईरान और रूस के बीच मध्यस्थता करने के लिए एक बार फिर से एक सूत्रधार के रूप में भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो यह भी प्रतीत हो रहा है कि चीन भूमध्य सागर में पैर जमाने की अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सीरिया के लताकिया में बंदरगाह पर नजर जमाये हुए है क्योंकि वह उसको रणनीतिक महत्व के स्थान के रूप में देखता है। उन्होंने कहा कि हालांकि अब तक के घटनाक्रम को देखा जाये तो चीन सीरिया में अपने निवेश को सीमित रखते हुए अब तक सतर्क रहा है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि असद की चीन यात्रा जिनपिंग के लिए अपनी कूटनीतिक ताकत प्रदर्शित करने का अवसर भी है क्योंकि चीन मध्य पूर्व क्षेत्र में अपने भूराजनीतिक प्रभाव के लिए अमेरिका के साथ प्रतिद्वंद्विता का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि जब फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास ने जून में बीजिंग का दौरा किया था तो चीन ने इजरायलियों और फिलिस्तीनियों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सीरिया के राष्ट्रपति के दौरे के बाद भी जिनपिंग और कोई बड़ी कूटनीतिक पहल कर सकते हैं।

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