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भारत के लिए नई तैयारियों के साथ आया तालिबान, चाबहार से जुड़ने के लिए रेल लाइन बिछाने को तैयार

अफगानिस्तान के शासन में जब से तालिबान आया है उसका पूरा-पूरा ध्यान चाबहार प्रोजेक्ट पर लगा हुआ है। यही वजह है कि तालिबानी नेता जब ईरान के दौरे पर जाते हैं तो वो चाबहार का दौरा करना नहीं भूलते हैं। तालिबान अब नई तैयारियों के साथ सामने आया है। खबर है कि अफगानिस्तान रेल विकास ने एक बड़ी तैयारी की है। उसकी तैयारी कंधार को चाबहार से रेल मार्ग के जरिए जोड़ने की है। इतना ही नहीं अफगानिस्तान में इस्लामिक अमीरात के सत्ता में आने के बाद 5  हजार किलोमीटर नई रेल मार्ग योजना भी तैयार कर ली गई है। इस कंसोटियम की तरफ से बताया गया है कि चाबहार से मिलक रेलवे का एक हिस्सा जल्द ही तैयार हो जाएगा। 

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अफगानिस्तान रेल विकास कंसोटियम की तरफ से कहा गया है कि कंधार से मिलक और मिलक से चाबहार तक रेलवे अफगानिस्तान के क्षेत्र में निर्मित एक मानक लाइन है और ये ईरान के अलावा अफगानिस्तान के निर्यात के एक महत्वपूर्ण हिस्से को कवर कर सकती है। अफगानिस्तान रेल डेवलपमेंट कंसोर्टियम में कई निजी ईरानी कंपनियां शामिल हैं। आईआरएएफ के साथ एक साक्षात्कार में रेज़ाई ने कहा कि बेशक, कंधार को चाबहार से जोड़ना तालिबान के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है, इसके अलावा हेरात को मिलक से चाबहार रेलवे के निर्माण से भी जोड़ा जाएगा।

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उन्होंने कहा कि उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान को जोड़ने वाले अफगानिस्तान रेलवे नेटवर्क के अलावा, अन्य अफगान रेलवे को मानकों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसके अतिरिक्त, हेरात से तुर्कमेनिस्तान रेलवे को भी इन मानकों को पूरा करने के लिए उन्नत किया जाएगा। अफगानिस्तान रेल डेवलपमेंट कंसोर्टियम के सीईओ ने इस बात पर जोर दिया कि कंधार से मिलक और चाबहार रेलवे का निर्माण अफगान क्षेत्र के भीतर मानकों के अनुसार किया जाएगा और इसमें ईरान के अलावा अन्य देशों को खनिज, सूखे फल और तिलहन सहित अफगानिस्तान के निर्यात का हिस्सा शामिल होगा। चाबहार बंदरगाह पाकिस्तानी बंदरगाहों पर अफगानिस्तान की निर्भरता को कम करता है और भारत की अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच को आसान बनाता है।

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तालिबान के उप आर्थिक प्रमुख अब्दुल गनी बरादर ने हाल ही में काबुल में एक बैठक में कहा कि क्षेत्रीय संबंधों का विस्तार विशिष्ट देशों पर व्यापार निर्भरता को रोकता है। तालिबान और पाकिस्तान के बीच संबंधों में खटास आने के बाद, मुल्ला बरादर ने तेहरान में तालिबान प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इसके अतिरिक्त, भारतीय प्रधान मंत्री ने चाबहार को “शांति और समृद्धि का गलियारा” कहा और पूरे क्षेत्र में व्यापार और वाणिज्य बढ़ाने की इसकी क्षमता पर जोर दिया।

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