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Prabhasakshi Newsroom | इस्लामिक देशों की नजरों से गिरा Taliban! महिलाओं अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को लेकर UN और OIC ने लताड़ा

काबुल : अफगानिस्तान में मौजूदा तालिबानी सरकार ने महिलाओं के लिए नया तुगलकी फरमान जारी किया है। तालिबान ने कहा कि घरेलू और विदेशी एनजीओ में काम करने वाली महिलाएं सही ठंग से हिजाब नहीं पहनती है जिससे वह इस्लाम का अपमान करती है। ऐसे में अब से वह एनजीओ में काम नहीं करेंगी। इसके अलावा तालिबान ने एनजीओ ने भी महिलाओं की भर्ती पर रोक लगाने की मांग की हैं।   तालिबान के इस कठोर कदम का विरोध सभी इस्लामिक देश कर रहे हैं और तालिबान के इस कदम की अलोचना कर रहे हैं। तालिबान के इस कदम पर इस्लामिक देशों के संगठन OIC, कतर और यूएई ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस्लामिक देशों के संगठन ओर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन ने बयान जारी करते हुए कहा है कि तालिबान के इस कदम से अफगान महिलाओं के मौलिक अधिकारों को एक और गंभीर झटका लगा है। ओआईसी के महासचिव हिसेन ताहा ने तालिबान के इस कदम पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि तालिबान का यह कदम प्रत्यक्ष रूप से अफगान महिलाओं के अधिकारों को और अधिक प्रभावित करने की मंशा को दर्शाता है।
 

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यूएनएससी के अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर लगे प्रतिबंधों की निंदा 
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर लगातार बढ़ते प्रतिबंधों की निंदा करते हुए मंगलवार को देश के तालिबान शासकों से उन्हें तुरंत वापस लेने का आग्रह किया। सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। बयान के मुताबिक, ‘‘ सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए छठी कक्षा से आगे के स्कूलों के निलंबन को लेकर एक बार फिर से गहरी चिंता व्यक्त की है। सुरक्षा परिषद अफगानिस्तान के विकास और प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों की पूर्ण, समान और सार्थक भागीदारी की मांग करता है। ’’ 
मानवाधिकार प्रमुख ने भी तालिबान की अलोचनी की
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ने अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर बढ़ती पाबंदियों की निंदा करते हुए मंगलवार को कहा कि देश के तालिबान शासकों को इन प्रतिबंधों को तुरंत वापस लेना चाहिए। उन्होंने महिलाओं को गैर-सरकारी संगठनों के लिए काम करने से रोकने के फैसले के भयानक परिणामों की ओर इशारा किया। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने जिनेवा में जारी एक बयान में कहा कि कोई भी देश अपनी आधी आबादी को बाहर कर सामाजिक और आर्थिक रूप से विकास नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, महिलाओं और लड़कियों पर लगाए गए इन प्रतिबंधों से न केवल सभी अफ़गानों की पीड़ा बढ़ेगी, बल्कि मुझे डर है कि अफ़गानिस्तान की सीमाओं से परे भी एक जोखिम पैदा होगा। तुर्क ने कहा कि महिलाओं को गैर-सरकारी संगठनों के लिए काम करने से प्रतिबंधित करना उन्हें और उनके परिवारों को आय से वंचित करेगा तथा उन्हें देश के विकास में सकारात्मक योगदान करने के अधिकार से वंचित करेगा। उन्होंने कहा, प्रतिबंध से इन गैर सरकारी संगठनों की आवश्यक सेवाएं प्रदान करने की क्षमता काफी कम हो जाएगी, जिन पर अनेक अफगान लोग निर्भर हैं। शुरू में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करने वाले अधिक उदार शासन का वादा करने के बावजूद तालिबान ने इस्लामी कानून ‘शरिया’ को बहुत सख्ती से लागू किया है और महिलाओं पर अनेक प्रतिबंध लगा दिए हैं। उन्होंने मिड्ल स्कूल और हाईस्कूल में लड़कियों के पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है, महिलाओं को अधिकतर रोजगार से प्रतिबंधित कर दिया है और उन्हें बाहर निकलने पर सिर से पैर तक कपड़े पहनने का आदेश दिया है। तालिबान ने महिलाओं के पार्क और जिम में जाने पर भी पाबंदी लगा दी है।
 

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तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करने वाले अधिक उदार शासन का वादा करने के बावजूद व्यापक रूप से इस्लामी कानून लागू किए हैं। उन्होंने माध्यमिक और उच्चत्तर माध्यमिक स्कूलों में लड़कियों के शिक्षा ग्रहण करने पर पाबंदी लगा दी है, महिलाओं को अधिकांश रोजगार से प्रतिबंधित कर दिया है और उन्हें सार्वजनिक रूप से सिर से पैर तक ढकने वाले कपड़े पहनने का आदेश दिया है। इसके अलावा, महिलाओं के पार्क और जिम में जाने पर भी पाबंदी है।
एनजीओ ने अफगानिस्तान में काम करना किया बंद
महिलाओं की एनजीओ में भर्ती पर रोक के आदेश के बाद तीन विदेशी गैर-सरकारी संगठनों ने रविवार से अफगानिस्तान में अपना कामकाज बंद कर दिया। ‘सेव द चिल्ड्रेन’, ‘नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल’ और ‘केयर’ ने कहा कि वे अपनी महिला कर्मचारियों के बिना अफगानिस्तान में जरूरतमंद बच्चों, महिलाओं और पुरुषों तक प्रभावी ढंग से नहीं पहुंच सकते हैं। अफगानिस्तान में बिगड़ती मानवीय दशाओं के बीच ये तीन एनजीओ स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और बाल संरक्षण एवं पोषण संबंधी सेवाएं प्रदान करते हैं। ‘नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल’ की अफगानिस्तान प्रमुख नील टर्नर ने रविवार को कहा, ‘‘हमने सभी सांस्कृतिक मानदंडों का पालन किया है और हम अपनी समर्पित महिला कर्मचारियों के बिना काम नहीं कर सकते हैं, जो हमारे लिए उन महिलाओं तक पहुंचने के लिए आवश्यक हैं, जिन्हें सहायता की सख्त जरूरत है।’’ 
तालिबान सरकार ने लगाया था एनजीओ में महिलाओं के काम करने पर प्रतिबंध
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने महिलाओं के घरेलू और विदेशी एनजीओ में काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही सभी गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को महिला कर्मचारियों की भर्ती नहीं करने का आदेश दिया था। यह आदेश वित्त मंत्री कारी दीन मोहम्मद हनीफ के एक पत्र में आया था, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई एनजीओ आदेश का पालन नहीं करता है, तो अफगानिस्तान में उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि उसे एनजीओ के लिए काम करने वाली महिला कर्मचारियों के बारे में ‘‘गंभीर शिकायतें’’ मिली हैं, जो ‘‘सही तरह से हिजाब नहीं पहनती हैं।’’

तालिबान ने महिलाओं के विश्वविद्यालय जाने पर भी  लगाई गई थी रोक 
तालिबान सरकार के उस हालिया आदेश की भी दुनिया भर में व्यापक निंदा की गई है, जिसमें महिलाओं के विश्वविद्यालय जाने पर रोक लगाई गई है। अमेरिका ने अफगानिस्तान में एनजीओ में महिलाओं की नियुक्ति पर रोक संबंधी आदेश को लेकर तालिबान की निंदा करते हुए कहा है कि इस पाबंदी के कारण लाखों लोगों को जीवन रक्षक सहायता में व्यवधान उत्पन्न होगा। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने शनिवार को कहा, ‘‘दुनियाभर में महिलाएं मानवीय सहायता संचालन के केंद्र में हैं। यह (गैर सरकारी संगठनों में भर्ती पर रोक का) फैसला अफगान लोगों के लिए विनाशकारी होगा।’’ वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि वह पाबंदी की इस खबर से बहुत परेशान हैं। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र तथा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों समेत उसके साझेदार 2.8 करोड़ से अधिक अफगानों की मदद कर रहे हैं, जो जीवित रहने के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर हैं।’’ गौरतलब है कि पिछले साल तालिबान के सत्ता में काबिज होने से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी और लाखों लोग गरीबी एवं भुखमरी की स्थिति में पहुंच गये हैं।

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