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Taliban Massive Bomb Attack: पाकिस्तान में 50 किलोमीटर अंदर तक घुस आया तालिबान, मच गई भगदड़!

दुनिया के किसी भी मुल्क में चले जाइए। सबसे सस्ती और सबसे उपलब्ध चीजों में से एक चाय है। वैसे तो पाकिस्तान में एक चाय की कीमत 40 से 50 पाकिस्तानी रुपए है। लेकिन पाकिस्तान के पूर्व आईएसआई चीफ की एक कप चाय उसके मुल्क को बहुत महंगी पड़ रही है। अफगान सीमा पर मुनीर के सैनिक मारे जा रहे हैं। डुरंड लाइन पर रह रहे लोगों को अपना आशियाना छोड़ना पड़ रहा है। पहले से ड्रैगन के पास गिरवी रखी पाकिस्तान की जमीन पर अब तालिबान कब्जा कर रहा है। डेढ़ साल पहले तक पाकिस्तान के कर्ता-धर्ता यानी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व आईएसआई चीफ हामिद मीर दोनों ही इस वक्त जेल में हैं। पाकिस्तान अफगानिस्तान सीमा पर जो हालात हैं उसके लिए मौजूदा स्टैबल्शिमेंट इमरान और फैज हामिद को जिम्मेदार ठहरा रही है। अफगान इलाके से पाकिस्तान की चेक पोस्टों पर बड़े हथियारों से लगातार फायरिंग की खबर आई है। 

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पाकिस्तान के डिप्टी पीएम इशाक डार ने पूर्व आईएसआई चीफ के एक कप चाय का जिक्र कर  कहा कि सब ठीक हो जाएगा। मैं यहां सिर्फ एक कप चाय के लिए आया था। क्या था वो और उसके बाद क्या हुआ। मैंने ये बात ऊपर रखी। दरअसल, बीते कुछ दिनों से पाकिस्तान अफगानिस्तान सीमा पर जबरदस्त संघर्ष जारी है। युद्ध जैसे हालात हैं। अफगानिस्तान की तालिबान फोर्स लगातार फौज को निशाना बना रही है। काबुल और कंधार से बड़े बड़े टैंकों की मूव शुरू हो गई है। पाकिस्तानी कैंपों पर बड़े बड़े रॉकेट दागे जा रहे हैं। मशीनगन और राइफल से जोरदार गोलीबारी हो रही है। बीती रात भी पाकिस्तान और तालिबान लड़ाकों के बीच जमकर गोलीबारी हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हमले में आठ तालिबानी लड़ाके मारे गए। 16 घायल गए। मारे गए आठ तालिबानी लड़ाकों में दो कमांडर भी थे। 

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पाकिस्तान सरकार ने खैबर-पख्तूनख्वा (केपी) क्षेत्र में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान बज रहे पाकिस्तानी राष्ट्रगान के दौरान अफगानिस्तान के तालिबान शासन के एक अधिकारी के बैठे रहने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक आधिकारिक बयान में इस कृत्य को ‘निंदनीय’ भी कहा। खैबर-पख्तूनख्वा सरकार ने ईद-ए-मिलाद के अवसर पर पैगंबर मोहम्मद के सम्मान में एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें पाकिस्तानी समाज के विभिन्न वर्गों के अधिकारियों और विद्वानों को आमंत्रित किया गया था। 

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