एकांतवास में रहने वाले तालिबान के शीर्ष नेता ने मंगलवार को एक संदेश जारी करके दो दशक लंबे युद्ध के बाद अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के उपरांत तालिबान द्वारा उठाए गए कदमों और देश में हुए बदलावों की तारीफ की।
हिबतुल्ला अखुंदजादा का यह बयान इस सप्ताह के उत्तरार्द्ध में होने वाली ईद की छुट्टियों से पहले सार्वजनिक किया गया है। ईद का त्योहार मनाए जाने के साथ ही रमजान का पाक महीना समाप्त हो जाएगा।
इस्लामिक विद्वान अखुंदजादा विरले ही सार्वजनिक रूप से नजर आते हैं या कंधार में स्थित तालिबान के गढ़ से बाहर निकलते हैं।
उनके आसपास ऐसे धार्मिक विद्वानों और सहयोगियों का जमावड़ा रहता है, जो महिलाओं के लिए शिक्षा और उनके काम (पैसे कमाने) करने का विरोध करते हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि हाल के महीनों में अफगानिस्तान की घरेलू नीतियां तय करने में अखुंदजादा का प्रभाव बढ़ गया है और इसी कारण छठी कक्षा के बाद लड़कियों की पढ़ाई, महिलाओं पर सार्वजनिक जीवन में आने या काम करने पर पाबंदी, खास तौर से एनजीओ या संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करने पर पाबंदी लगा दी गई है।
यह संदेश पांच भाषाओं… अरबी, दारी, अंग्रेजी, पश्तो और उर्दू में जारी किया गया। अखुंदजादा ने कहा कि तालिबान ने संस्कृति, शिक्षा, अर्थव्यवस्था, मीडिया और अन्य क्षेत्रों में ‘‘सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।’’
संदेश में तालिबान नेता ने कहा है, ‘‘20 साल के कब्जे का बौद्धिक और नैतिक कुप्रभाव दूर होने वाला है।’’ साथ ही उन्होंने ‘शरिया कानून (इस्लामिक कानून) की रोशनी’’ में रहने का गुणगान भी किया।