बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन को लेकर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली करीमा बलोच जब कनाडा में मृत पाईं गईं तो पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई पर करीमा की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया। पाकिस्तान सरकार की तरफ से यहां के अकूत प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जाता रहा है। इसी दोहन और बाहरी आबादी को यहां बसाने की सरकार की कोशिशों के खिलाफ 2003 से यहां संघर्ष अपने चरम पर है।
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करीमा बलोच कौन थी?
बलूचिस्तान की अधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच पाकिस्तान सरकार के साथ बलूचिस्तान के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ रही थीं। वो एक राजनीतिक छात्र संगठन, बलूच छात्र संगठन (बीएसओ-आजाद) की पहली अध्यक्ष थीं, और बलूच कार्यकर्ताओं के बीच जबरन गायब होने का मुद्दा उठाने के लिए जानी जाती थीं। पाकिस्तानी सेना और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के मुखर आलोचक, बलूच को पाकिस्तान में आतंकवाद के आरोप लगाए जाने के बाद कनाडा में शरण दी गई थी। 2020 में लापता होने के बाद बलूच स्वीडन में एक नदी में मृत पाई गईं। उस वर्ष निर्वासन में मरने वाली दूसरी बलूच कार्यकर्ता बन गई। करीमा से पहले मार्च 2020 में स्वीडन में रह रहे बलोच पत्रकार की भी लाख मिली थी।
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परिवार ने क्या कहा?
निर्वासन में रह रहे बलूच के पति हमीर हैदर ने कहा कि मैं विश्वास नहीं कर सकता कि यह आत्महत्या का कार्य है। वह एक मजबूत महिला थीं और वो अच्छे मूड में घर से गई थीं। उन्होंने आगे कहा कि हम बेईमानी से इनकार नहीं कर सकते क्योंकि उसे धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने पाकिस्तान छोड़ दिया क्योंकि उनके घर पर दो से अधिक बार छापा मारा गया था। उन्हें सक्रियता और राजनीतिक गतिविधियाँ छोड़ने की धमकी दी गई लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और कनाडा भाग गईं।
पहले भी बलूच नेता की इसी तरह मिली लाश
पत्रकार साजिद हुसैन भी लापता हो गए थे। बाद में उनकी लाश एक नदी के किनारे मिली थी। साजिद के परिवार, दोस्तों और परिचितों ने दावा किया था कि उनकी हत्या हुई है। पेरिस के जर्नलिस्ट ऑर्गनाइजेशन रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने आरोप लगाया था कि साजिद का संदिग्ध रूप से गायब होना और उनकी मौत हो जाना एक साजिश थी। इसे पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई (इंटर सर्विसेस इंटेलिजेंस) और एमआई (मिलिट्री इंटेलिजेंस ऑफ पाकिस्तान) ने अंजाम दिया था। इसकी वजह पत्रकार के तौर पर उनके काम थे जो पाकिस्तान को खटक रहे थे।
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