आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान एक बार फिर से बेनकाब हो चुका है। पाकिस्तानी अब्दुल रहमान मक्की वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया गया। मक्की को यूनाइटेड नेशन की सिक्योरिटी काउंसिल यानी यूएनएससी ने ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया है। मक्की लश्कर सरगना हाफिद सईद का रिश्तेदार है। पाकिस्तान एक बार फिर से एक्सपोज हो गया है कि वो किस तरह से आतंक को बढ़ावा देता है और पालता पोसता है। संयुक्त राष्ट्र ने अपने बयान में कहा है कि सुरक्षा परिषद समिति ने अब्दुल रहमान मक्की को दाएश और अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत वैश्विक आतंकवादी घोषित किया है। इसके बाद आतंकी मक्की की संपत्ति जब्त होगी और उसकी यात्रा पर प्रतिबंध लगेगा।
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कौन है वैश्विक आतंकी मक्की?
अब्दुल रहमान मक्की लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद का रिश्तेदार है। वो लश्कर के राजनीतिक मामलों का भी अध्यक्ष है और सईद का बेहद ही करीबी बताया जाता है। 26/11 के मुंबई आतंकी हमले की साजिश रचने में भी अब्दुल रहमान मक्की शामिल था। कश्मीर में आतंकी योजना बनाना, युवाओं को ब्रेनवॉश कर आतंकी बनाने का काम भी मक्की किया करता था। आतंक के लिए धन जुटाने का जिम्मा भी मक्की के पास है। अमेरिका की तरफ से 2 मिलियन डॉलर का इनाम इस पर रखा गया है। स्लीपर सेल के लिए भी अब्दुल रहमान मक्की शामिल है। जुलाई 2019 में जब एफएटीएफ की तरफ से पाकिस्तान पर दवाब के बाद हाफिद सईद और अब्दुल रहमान मक्की समेत 13 जमात के आतंकी पर पाकिस्तान में कई केस बने और सजा हुई। फिर उन्हें जेल में भी डाला गया। जमात उत दावा में मक्की को प्रोफेसर मक्की के रूप में भी जाना जाता है।
2006 से ही भारत में आतंकी हमले में रहा शामिल
मक्की का नाम पहली बार भारत में तब सुना गया जब देश 26/11 जैसे खतरनाक हमलों से दहल गया था। मक्की इन हमलों का एक मास्टरमाइंड था। गृह मंत्रालय की तरफ से साल 2022 में बताया गया था कि 74 साल का मक्की साल 2006 से ही भारत में आतंकी हमलों में शामिल रहा है। पाकिस्तान के आधिकारिक रेकॉर्ड में मक्की की जन्म की दो तारीखें दर्ज हैं। 10 दिसंबर 1954 और दूसरी है 10 दिसंबर 1948 और कई सुरक्षा अधिकारी मानते हैं कि यह सिर्फ विदेशी सुरक्षा एजेंसियों को गुमराह करने के लिए ही है।
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ग्लोबल टेरिस्ट लिस्ट में आने पर लगते हैं ये प्रतिबंध
ऐसे आतंकी दुनियाभर के किसी भी देश में नहीं जा सकते हैं यानी उन्हें कोई देश वीजा या शरण नहीं दे सकता।
ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने पर ये आतंकी किसी भी देश में अपनी आर्थिक गतिविधियों को नहीं चला सकते।
ऐसे आतंकियों के दुनियाभर में सभी बैंक अकाउंट्स को फ्रीज कर दिया जाता है।
इन आतंकियों से जुड़ी सभी संस्थाओं पर आर्थिक बैन लगा दिया जाता है यानी पैसे की सप्लाई बंद हो जाती है।
पाकिस्तान को भी न चाहते हुए ऐसे आतंकियों की आर्थिक गतिविधियों पर बैन लगाना पड़ता
पाकिस्तान को न चाहते हुए भी इन आतंकी संगठनों से जुड़े मदरसों और कैंप को बंद करवाना पड़ता