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South Africa में सप्ताहांत में आयोजित दिवाली समारोह में हजारों लोग पहुंचे

आगामी रविवार को रोशनी के त्योहार से पहले, देश भर में आयोजित दिवाली समारोहों में सभी समुदायों के हजारों दक्षिण अफ्रीकी लोगों ने हिस्सा लिया।

दक्षिण अफ़्रीकी हिंदू महासभा (एसएएचएमएस) द्वारा आयोजित डरबन दिवाली महोत्सव ने तीन दिनों में सबसे अधिक भीड़ को आकर्षित किया, जिसमें सांस्कृतिक गतिविधियों, खाद्य स्टॉल, भारतीय फिल्मों और युवाओं एवं बुजुर्गों के लिए योग सत्र की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल थी।

एसएएचएमएस के अध्यक्ष अश्विन त्रिकमजी ने पीटीआई-को बताया, ‘‘1998 से डरबन दिवाली महोत्सव न केवल डरबन के लोग बल्कि पूरे दक्षिण अफ्रीका के लोग एक विश्वव्यापी त्योहार के रूप में मनाते रहे हैं।’’

दिवाली समारोह में एक दिन सभी भारतीय भाषाई समूहों के पंडितों और गुरुओं के साथ ‘हवन’ का आयोजन किया गया, जिसके बाद भजन और राम कथा का विशेष पाठ किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘दक्षिण अफ्रीका में दिवाली उत्सव अब केवल हिंदू समुदाय तक ही सीमित नहीं है, यह अब दक्षिण अफ्रीका के पूरे समुदाय का राष्ट्रीय उत्सव बन गया है। देश भर में आयोजित दिवाली उत्सव समाज के सभी वर्गों के लोगों को आकर्षित करते हैं।’’

त्रिकमजी ने कहा, ‘‘विभिन्न नस्ल समूह के लोग दिवाली उत्सव का आनंद लेते हैं। दक्षिण अफ्रीका ने क्या कुछ हासिल किया है यह इस बात का भी संकेत है, दक्षिण अफ्रीका में ‘रेनबो नेशन’ ‘लोगों को एक साथ लाया’ है।’’

प्रिटोरिया में शनिवार की शाम को दिवाली समारोह में लॉडियम के स्टेडियम में 7,000 से अधिक लोग एकत्रित हुए। यह वह शहर है जहां रंगभेद के दौर में क्षेत्र के भारतीय समुदाय को जबरन बसाया गया था।

कार्यक्रम की मेजबानी करने वाले प्रिटोरिया के ‘हिंदू सेवा समाज’ के अध्यक्ष संजय गोविंद ने कहा, ‘‘मैं आज आप सभी से दुनिया में रहने योग्य वातावरण बनाने पर विचार करने का आह्वान करता हूं जहां सह-अस्तित्व, त्याग और निस्वार्थ की भावना हो जो हमारे सभी साथी मनुष्यों को प्रभावित करे, चाहे वे किसी भी जाति, रंग या पंथ के हों।’’

जोहानिसबर्ग में शुक्रवार की शाम को शहर के तीन मेयर ने जोहानिसबर्ग में भारत के महावाणिज्यदूत, महेश कुमार द्वारा हॉटन के उपनगर में स्थित उनके आवास ‘इंडिया हाउस’ में आयोजित भव्य दिवाली समारोह में भाग लिया।
वर्तमान मेयर काबेलो ग्वामांडा के साथ उनके पूर्ववर्तियों थापेलो अमाद और हरमन माशाबा भी शामिल हुए।

पर्यावरण के अनुकूल होने के प्रयासों के तहत सभी मेहमानों ने दिवाली पर छोटे इलेक्ट्रॉनिक दीये, पारंपरिक रूप से तेल के दीपक जलाए।
ग्वामांडा ने कहा कि वह पहली बार किसी भारतीय कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।

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