प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अपने देश में मौजूद भारतीय समाज को बांटने में कामयाब होते दिख रहे हैं। इससे भारत और कनाडा के लिए किस प्रकार के खतरे बढ़ गये हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर पर हमले की घटना बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि यह कनाडा में चरमपंथी ताकतों को एक तरह से दी जा रही राजनीतिक जगह की ओर इंगित करता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा अपनी धरती से गतिविधियां चला रहे खालिस्तान समर्थक तत्वों को बिना किसी रोक-टोक के मौका दे रहा है। उन्होंने कहा कि कनाडा ने विशेष विवरण दिए बिना आरोप लगाने को अपनी आदत बना लिया है। इसके अलावा कनाडा वहां मौजूद भारतीय राजनयिकों पर निगरानी रखता है जिसको भारत अस्वीकार्य बता चुका है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कनाडा में हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें भयावह हैं। उन्होंने कहा कि हिंसा की ऐसी हरकतें भारत के संकल्प को कभी कमजोर नहीं कर पाएंगी। उन्होंने कहा कि कनाडा सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पूजा स्थलों को इस तरह के हमलों से बचाया जाए।
इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान की राह पर कनाडा ?
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की बात है तो दरअसल वह कभी समझ ही नहीं पाए कि वहां रह रहे ज्यादातर सिख धर्मनिरपेक्ष हैं और वे खालिस्तान से कोई सरोकार नहीं रखना चाहते। उन्होंने कहा कि ट्रूडो के रुख ने खालिस्तानी चरमपंथियों को मजबूत किया है और उदारवादी सिखों के बीच डर का माहौल बनाया है। उन्होंने कहा कि ट्रूडो की नीतियों के चलते खालिस्तानी अलगाववादी आंदोलन अब कनाडाई समस्या बन गया है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर सिख खालिस्तान से कोई सरोकार नहीं रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ट्रूडो हकीकत में कभी समझ ही नहीं पाए कि ज्यादातर सिख धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण रखते हैं। उन्होंने कहा कि खालिस्तानी बहुसंख्यक नहीं हैं लेकिन डर के कारण कोई भी उनके खिलाफ नहीं बोलता।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा यह जस्टिन ट्रूडो की गलतियों का नतीजा है कि आज कनाडा के लोग खालिस्तानियों और सिख को एक मानते हैं, मानो कि अगर कोई सिख हैं, तो वह खालिस्तानी समर्थक है। उन्होंने कहा कि कनाडा में रह रहे आठ लाख सिखों में से ज्यादातर खालिस्तान आंदोलन का समर्थन नहीं करते। उन्होंने कहा कि कनाडा में रह रहे भारतीय समझ रहे हैं कि ट्रूडो बांटो और राज करो वाली नीति पर चल रहे हैं इसलिए आगामी चुनावों में उन्हें बड़ा झटका लगने वाला है। उन्होंने कहा कि कनाडा के सत्तारुढ़ और विपक्षी दलों के तमाम नेता ट्रूडो की भारत विरोधी गतिविधियों के आलोचक रहे हैं और इसे अपने देश के लिए नुकसानदेह करार दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रूडो जिस तुष्टिकरण की राजनीति को अपने राजनीतिक फायदे का सौदा समझ रहे हैं वह दरअसल कनाडा को बड़ा नुकसान पहुँचा रही है। उन्होंने साथ ही कहा कि वह भारतीय समाज को विभाजित कर पाने में कभी सफल नहीं होंगे।