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दशकों में पहली बार बढ़े तपेदिक के मामले, कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य पहल प्रभावित हुईं

 कोविड-19 वैश्विक महामारी का कारण बने सार्स-कोव-2 वायरस के 2020 में फैलने से पहले दुनियाभर मेंकिसी भी अन्य संक्रामक बीमारी की तुलना में तपेदिक (टीबी) से सबसे अधिक लोगों की मौत होती थी, लेकिन अमेरिका और विश्व स्तर पर जन स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए उठाए गए कदमों के कारण, दशकों से तपेदिक के मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही थी।
मैं एक संक्रामक रोग चिकित्सक हूं और दो दशक से अधिक समय से अमेरिका में वंचित समुदायों की देखभाल कर रहा हूं।
वैश्विक महामारी के दौरान पहली बार ऐसा लगा कि ‘फ्लू’ जैसी कई अन्य सामान्य बीमारियों की तरह ही कोविड-19 की रोकथाम से जुड़े प्रयासों के जरिये तपेदिक के मामलों में भी कमी आई है। लेकिन तपेदिक के मामले फिर से वैश्विक महामारी से पहले के समान हो गए हैं।

पिछले कई दशकों में पहली बार वैश्विक स्तर पर इसके मामलों और इससे होने वाली मौत के आंकड़ों में वृद्धि देखी गई है।
वैश्विक महामारी ने न केवल तपेदिक के लिए महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पहल को बाधित किया, बल्कि इसने दुनियाभर में हाशिये पर रहने वाले लोगों के लिए सामाजिक व आर्थिक अवसरों में भी कमी लाई। ऐसा प्रतीत होता है कि इन कारणों से तपेदिक से निपटने में गंभीर बाधा उत्पन्न हुई है।

कोविड-19 वैश्विक महामरी से पहले और उसके दौरान क्षय रोग
-क्षय रोग या तपेदिक फेफड़ों का एक संक्रामक जीवाणु संक्रमण है, जो आमतौर पर हवा के जरिये फैलता है। तपेदिक के अधिकतर मामलों में कोई लक्षण नजर नहीं आते और यह संक्रामक भी नहीं होते। इससे संक्रमित करीब पांच से 10 प्रतिशत लोगों में ही तपेदिक के लक्षण दिखते हैं, जिनमें खांसी, बुखार, भूख में कमी और वजन कम होना शामिल है।

तपेदिक का इलाज न किया जाए, तो यह एक बेहद संक्रामक व खतरनाक बीमारी का रूप ले सकता है, जिससे मौत भी हो सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया में तपेदिक से संक्रमित मरीजों की कुल अनुमानित संख्या में वर्षों से गिरावट दर्ज की जा रही थी। सबसे कम एक करोड़ एक लाख मामले वर्ष 2020 में सामने आए थे। 2021 में इसके मामलों में मामूली बढ़ोतरी देखी गई, जब एक करोड़ पांच लाख मामले सामने आए। एक दशक से अधिक समय बाद पहली बार इसके मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
दुनियाभर में तपेदिक से होने वाली मौत के आंकड़ों में भी ऐसा ही बदलाव देखा गया। 2019 में सबसे कम अनुमानित 14 लाख लोगों ने तपेदिक के कारण दम तोड़ा। फिर 2020 में मौत का आंकड़ा बढ़कर 15 लाख और 2021 में 16 लाख हो गया।

तपेदिक की जांच बढ़ना भी 2019 के बाद से मामले बढ़ने का एक अहम कारण है।

क्षय रोग एक सामाजिक बीमारी है
-प्रभावी टीकों, जांच और उपचार की बदौलत तपेदिक अब एक ऐसी बीमारी है, जिस पर काबू पाया जा सकता है। दुनियाभर में लाखों लोग अब भी इस बीमारी से पीड़ित हैं। इसकी वजह चिकित्सकीय समझ की कमी और सामाजिक असमानता है।
आर्थिक अवसरों तक असमान पहुंच, सीमित स्वास्थ्य देखभाल, खराब स्वच्छता, रहन-सहन की खराब स्थिति, कुपोषण तथा मधुमेह या एचआईवी जैसी बीमारियां सभी तपेदिक के बढ़ते जोखिम से जुड़ी हैं।
अमेरिका में 2021 में तपेदिक के 85 प्रतिशत से अधिक मामले नस्ली व जातीय अल्पसंख्यक समूहों में सामने आए। इनमें से 71 प्रतिशत लोग वे थे, जिनका जन्म अमेरिका के बाहर हुआ था।

बढ़ती असमानता के कारण मामलों में वृद्धि
-भले ही दुनिया में 2020 में पुष्ट मामलों में तेजी से गिरावट देखी गई, लेकिन विशेषज्ञ चिंतित थे कि रोकथाम व उपचार के प्रयासों के प्रभावित होने से तपेदिक से संक्रमित मरीजों की संख्या में वृद्धि हो सकती है।

ये आशंकाएं सही साबित हुईं। अमेरिकी रोग नियंत्रण एंव रोकथाम केंद्र के साथ-साथ कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पुष्टि की कि वैश्विक महामारी ने तपेदिक जांच व निदान तक पहुंच को प्रभावित किया है।
तपेदिक नियंत्रण गतिविधियों में रुकावट के कारण कई मामलों का पता नहीं चल पाया, क्योंकि सभी कर्मचारी, कोष, संसाधन कोविड-19 के प्रसार पर लगाम लगाने के प्रयासों में जुटे हुए थे।
इसके अलावा, कोरोना वायरस संक्रमण और तपेदिक के लक्षणों के बीच समानता भी निदान में चूक का कारण बनी। वैश्विक महामारी के बाद से तपेदिक के मामलों में तेजी से वृद्धि और खासकर इससे अधिक लोगों की मौत इस बात की पुष्टि करती है कि पिछले 20 वर्षों में तपेदिक नियंत्रण में हुई प्रगति थम गई है, धीमी पड़ गई है या उलट गई है।

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