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Turkey On Pakistan: भारत के लिए तुर्किए ने पहली बार पाकिस्तान को दे दिया झटका, मोदी करेंगे एर्दोगन की ख्वाहिश पूरी?

तुर्किए ने पहली बार पाकिस्तान के एजेंडे से किनारा कर लिया है, जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। हर जगह इस शानदार खबर की चर्चा हो रही है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि तुर्किए ऐसा भारत को खुश करने के लिए कर रहा है। एक बड़े मकसद के लिए पहली बार तुर्किए ने खुद को कश्मीर के मुद्दे से अलग कर लिया है। ये भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। दुनिया को हैरान करते हुए तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित करते हुए कश्मीर का जिक्र नहीं किया। इस खबर से पाकिस्तान में खलबली मच गई है। पाकिस्तान के अलावा तुर्किए ही ऐसा देश था जो संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली में कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा था। 

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कश्मीर पर एर्दोगन का क्या रहा है स्टैंड
2023 में एर्दोगन ने भारत और पाकिस्तान से दक्षिण एशिया में स्थायी शांति के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। एर्दोगन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत और सहयोग के माध्यम से कश्मीर में न्यायपूर्ण और स्थायी शांति की स्थापना होगी। 2022 में एर्दोआन ने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति के मुद्दे पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी शांति कश्मीरियों तक भी पहुंचनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें खेद है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मजबूत शांति और सहयोग अभी भी स्थापित नहीं हुआ है।  हमें उम्मीद है कि कश्मीर में एक न्यायपूर्ण और स्थायी शांति और स्थिरता आएगी। 2021 में एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र तंत्र के माध्यम से कश्मीर संघर्ष के समाधान का आह्वान किया। उन्होंने 2020 और 2019 में भी इसे दोहराया था। 

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ब्रिक्स में शामिल होने के लिए छोड़ा पाक का साथ 
एर्दोआन तुर्किए को ब्रिक्स देशों में शामिल करना चाहते हैं। इसके लिए भारत की सहमति जरूरी है। ब्रिक्स देशों के समूह में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका शामिल हैं। ब्रिक्स के विस्तार की लगातार बातें हो रही हैं और भारत इस गुट के संस्थापक सदस्यों में से एक है। ब्रिक्स को जी-7 और जी-20 से भी मजबूत करने की बातें हो रही हैं। इसलिए तुर्किए अब ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है। तुर्किए को पता है कि अगर भारत ने मना कर दिया तो उसका ब्रिक्स में शामिल होना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए उसने भारत को खुश करना शुरू कर दिया है। खबरें हैं कि तुर्किए को नाटो ग्रुप से निकालने की तैयारी हो रही है। इसलिए वो ब्रिक्स में अपना विकल्प ढूंढ़ रहा है, जिसमें रूस, चीन और भारत जैसी तीन महाशक्ति मौजूद है। 

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