अभी भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव की खबरें सुर्खियों में बनी हुई थीं कि अब तुर्किये ने भी भारत के साथ संबंधों में तनाव बढ़ाते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठा डाला है। हम आपको याद दिला दें कि हाल ही में जब जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए तमाम राष्ट्राध्यक्ष दिल्ली आये थे तब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्विपक्षीय मुलाकात भी हुई थी। लेकिन इन दोनों ही द्विपक्षीय मुलाकातों के दौरान दोनों देशों के संबंधों में तनाव साफ-साफ नजर आ रहा था। हम आपको यह भी याद दिला दें कि जब तुर्किये के राष्ट्रपति से दिल्ली यात्रा के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की भारत की दावेदारी पर सवाल किया गया था तो उन्होंने सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा था कि दुनिया पांच से बड़ी है और सभी को यह जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। हम आपको यह भी याद दिला दें कि जब हाल ही में तुर्किये में विनाशकारी भूकंप आया था तो भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ नामक राहत अभियान चलाकर वहां के लोगों को बड़ी राहत पहुँचायी थी लेकिन इस सबके बावजूद तुर्किये पाकिस्तान मोह छोड़ नहीं पा रहा है। हाल ही में जब श्रीनगर में जी20 पर्यटन समूह की बैठक का आयोजन किया गया था तो पाकिस्तान के अनुरोध पर तुर्किये ने उस बैठक में भाग नहीं लिया था।
अब तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के उच्च स्तरीय 78वें सत्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया है। एर्दोगन ने महासभा की आम बहस में विश्व नेताओं को दिए संबोधन में कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद तथा सहयोग के जरिये कश्मीर में न्यायपूर्ण एवं स्थायी शांति की स्थापना कर दक्षिण एशिया में शांति, स्थिरता तथा समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तुर्किये इस दिशा में उठाए गए कदमों का समर्थन करना जारी रखेगा।’’
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एर्दोगन की यह टिप्पणी तब आई है, जब कुछ सप्ताह पहले उन्होंने नयी दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार और बुनियादी ढांचा के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की थी। एर्दोगन ने हालांकि कहा कि यह गर्व की बात है कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी और 15 ‘‘अस्थायी’’ सदस्यों को स्थायी सदस्य बनाने के पक्षधर हैं। हम आपको एक बार फिर बता दें कि तुर्किये के नेता ने हाल के वर्षों में संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र में विश्व नेताओं को दिए अपने संबोधन में कई बार कश्मीर का मुद्दा उठाया है।
उन्होंने यूएनजीए सत्र में कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान ने 75 साल पहले संप्रभुता और स्वतंत्रता हासिल करने के बाद भी आपस में शांति एवं सद्भाव कायम नहीं किया है। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। हम उम्मीद और प्रार्थना करते हैं कि कश्मीर में उचित और स्थायी शांति एवं समृद्धि स्थापित हो।’’ हम आपको बता दें कि एर्दोगन ने 2020 में भी आम बहस में पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो बयान में जम्मू-कश्मीर का उल्लेख किया था। उस समय भारत ने इसे ‘‘पूरी तरह से अस्वीकार्य’’ बताते हुए कहा था कि तुर्किये को दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए और अपनी नीतियों पर अधिक गहरायी से विचार करना चाहिए।