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UN chief ने कहा कि नियम-आधारित व्यवस्था के अराजक होने का खतरा है

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बृहस्पतिवार को चेतावनी दी कि नियम आधारित व्यवस्था के ‘‘अराजक व्यवस्था’’ में तब्दील होने का गंभीर खतरा है।
उन्होंने यह बात यूक्रेन पर रूस के आक्रमण, अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में तख्तापलट, उत्तर कोरिया के अवैध परमाणु हथियार कार्यक्रम और अफगानिस्तान में महिलाओं एवं लड़कियों के अधिकारों पर तालिबान शासन के कुठाराघात जैसी घटनाओं को रेखांकित करते हुए कही।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने म्यांमा में सेना द्वारा फरवरी 2021 में आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को अपदस्थ किए जाने और हैती में कमजोर कानूनी व्यवस्था का भी उदाहरण दिया।

गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा, सबसे छोटे गांव से लेकर वैश्विक मंच तक, शांति और स्थिरता तथा सत्ता और संसाधनों के लिए एक क्रूर संघर्ष के बीच नियम आधारित व्यवस्था ही खड़ी है।
महासचिव ने कहा कि दुनिया के हर क्षेत्र में लोग संघर्षों, हत्याओं, बढ़ती गरीबी और भूख का प्रभाव झेल रहे हैं, जबकि देश अवैध रूप से बल प्रयोग करने और परमाणु हथियार विकसित करने सहित अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कर रहे हैं।
नियम आधारित व्यवस्था के उल्लंघन के एक उदाहरण के रूप में, गुतारेस ने सबसे पहले रूस द्वारा 24 फरवरी को यूक्रेन पर आक्रमण किए जाने की ओर इशारा किया।

इसके बाद, गुतारेस ने 2022 में इजराइल-फलस्तीन से संबंधित झड़पों में लोगों के मारे जाने की घटनाओं की निंदा की।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों से संयुक्त राष्ट्र चार्टर और मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के मूल्यों को बनाए रखने, अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने और विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने का आग्रह किया।
नियम आधारित व्यवस्था को मजबूत करने पर आयोजित परिषद की बैठक की अध्यक्षता जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने की।

हयाशी ने कहा, आज, हम यूरोप में युद्ध और संघर्ष, हिंसा, आतंकवाद और भू-राजनीतिक तनाव से घिरे हुए हैं, जो अफ्रीका से लेकर मध्य पूर्व तक और लातिन अमेरिका से लेकर एशिया प्रशांत तक है।
उन्होंने यूक्रेन पर रूस के हमले के स्पष्ट संदर्भ में कहा, ‘‘ हम, सदस्य देशों को नियम आधारित व्यवस्था के लिए एकजुट होना चाहिए और चार्टर के उल्लंघन जैसी आक्रामकता के खिलाफ खड़े होने तथा किसी सदस्य देश द्वारा किसी क्षेत्र पर बल के जरिए कब्जा करने का विरोध करने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए।

अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने परिषद से कहा कि संयुक्त राष्ट्र का एक मौलिक सिद्धांत यह है कि कोई भी व्यक्ति, कोई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति, कोई राज्य या देश कानून से ऊपर नहीं है।
उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध की राख पर संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से शांति और समृद्धि की दिशा में अद्वितीय प्रगति के बावजूद, कुछ देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में विफल हो रहे हैं और सबसे हालिया उदाहरण रूस का है।
ग्रीनफील्ड ने रूस, उत्तर कोरिया, ईरान, सीरिया, म्यांमा, बेलारूस, क्यूबा, ​​​​सूडान और अफगानिस्तान के तालिबान शासकों का नाम लेते हुए कहा कि संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता का सम्मान न करने वालों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

वहीं, संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वैसिली नेबेंजिया ने कहा कि मॉस्को पर पश्चिम आरोप लगा रहा है, लेकिन वह स्वयं अपने द्वारा किए जाने वाले घोर उल्लंघन की अनदेखी करता है।
उन्होंने कहा कि गत 24 फरवरी से पहले अंतरराष्ट्रीय कानून का बार-बार उल्लंघन किया गया। नेबेंजिया ने कहा कि वर्तमान स्थिति के लिए विश्व में दादागीरी करने की अमेरिका की इच्छा जिम्मेदार है।

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