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भारत-अमेरिका संबंधों पर अमेरिकी राजदूत गार्सेटी ने कहा- सपने साकार करने हैं

अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने बुधवार को कहा कि भारत और अमेरिका ‘‘जोर-जबरदस्ती’’ का विरोध करने और आसमान तथा समुद्र की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जहाजों और वायु सेनाओं को एक साथ तैनात करने के लिए संयुक्त रूप से काम कर सकते हैं।
क्षेत्र में चीन की आक्रामकता को लेकर बढ़ रही चिंताओं के बीच उन्होंने यह टिप्पणी की है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, राजदूत ने कहा कि दोनों देश सैन्य उपकरणों के सह-उत्पादन को और प्रगाढ़ करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने विमानन-इंजन, तोपखाने और जमीनी वाहनों के क्षेत्र में आगामी कार्य को कुछ उदाहरण के रूप में गिनाया।
मानवाधिकार से संबंधित मुद्दों पर गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका इस पर भारत के साथ चर्चा जारी रखेगा ‘‘जैसा कि हमने हमेशा किया है, और जैसा कि हम दुनिया भर के सभी देशों में करते हैं।’’ उन्होंने महात्मा गांधी को भी उद्धृत करते हुए कहा,‘‘विविधता में एकता तक पहुंचने की हमारी क्षमता हमारी सभ्यता का सौंदर्य और परीक्षा होगी।’’

अमेरिकी राजदूत ने कहा कि भारत और अमेरिका के पास अधिक शांतिपूर्ण दुनिया बनाने की शक्ति है। उन्होंने चीन के परोक्ष संदर्भ में कहा कि भारत और अमेरिका उन लोगों के खिलाफ एक साथ खड़े हो सकते हैं जो अपने फायदे के लिए सबकी भलाई को नुकसान पहुंचाएंगे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले सप्ताह अमेरिका की राजकीय यात्रा ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत-अमेरिका साझेदारी ‘‘शानदार गति’’ से आगे बढ़ रही है। गार्सेटी ने कहा, ‘‘अमेरिका और भारत के पास एक उदाहरण स्थापित करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उससे परे एक अधिक शांतिपूर्ण दुनिया बनाने की शक्ति है। शांति का एक प्रमुख घटक सुरक्षा है।’’
उन्होंने चीन और रूस के संदर्भ में कहा, ‘‘जैसा कि हमने दुर्भाग्य से पिछले तीन वर्षों में देखा है, हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां देश संप्रभु सीमाओं की अनदेखी करते हैं, हिंसा और विनाश के माध्यम से अपने दावों को आगे बढ़ाते हैं।’’ गार्सेटी ने कहा, ‘‘यह वह दुनिया नहीं है जो हम चाहते हैं। यह वह दुनिया नहीं है जिसकी हमें जरूरत है।’’
राजदूत ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्षों को रिश्ते में उच्च महत्वाकांक्षा रखनी चाहिए और इसे साकार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

उन्होंने हिंदी में कहा, ‘‘सपने साकार करना है।’’
गार्सेटी ने कहा, ‘‘हम जोर-जबरदस्ती का विरोध करते हुए विकल्प के लिए एक साथ खड़े हो सकते हैं। हम क्षेत्रीय और वैश्विक संकटों को टालने के लिए स्थिरता की ताकत के रूप में एक साथ खड़े हो सकते हैं। हम समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने जहाजों को प्रशांत और हिंद महासागरों तथा उससे भी आगे तैनात कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आसमान और समुद्र की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और सहारा से प्रशांत द्वीप समूह तक मानवीय संकटों से संयुक्त रूप से निपटने के लिए हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी वायु सेना को तैनात कर सकते हैं।’’
गार्सेटी ने कहा, ‘‘हम उन सभी देशों की संप्रभु रक्षा को मजबूत करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में अपने जमीनी- सैन्यबल अभ्यास का समन्वय कर सकते हैं जो हमारे साथ काम करना चाहते हैं।’’
गार्सेटी ने मोदी की अमेरिका यात्रा को भारत-अमेरिका संबंधों का जश्न बताया। उन्होंने कहा, ‘‘जश्न वास्तविक था।

व्हाइट हाउस से लेकर कैपिटल तक, अमेरिकी सरकार, पार्टी लाइन से परे, कांग्रेस के सदन और सरकार की विभिन्न शाखाओं ने एक शानदार जश्न मनाया।’’
गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका और भारत बेहतर स्थिति में हैं और जब वे शांति, समृद्धि और दुनिया के लिए मिलकर काम करेंगे तो वे बेहतर परिणाम देंगे। उन्होंने कहा, ‘‘जब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का युग युद्ध का नहीं है तो इसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। कितना शक्तिशाली, जरूरी विचार है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसे महत्वपूर्ण मोड़ बताया।’’
रक्षा उत्पादन पर उन्होंने कहा,‘‘जब अमेरिका और भारत सैन्य उपकरणों के सह-उत्पादन के लिए मिलकर काम करते हैं, तो हम टिकाऊ लागत पर और भारत, अमेरिका और हमारे साझेदार के लिए लचीली आपूर्ति श्रृंखला के साथ एक अत्याधुनिक प्रणाली बनाते हैं।’’
वीजा मुद्दे पर गार्सेटी ने कहा, ‘‘हम उन बाधाओं को खत्म करना चाहते हैं जो योग्य यात्रियों को संयुक्त राज्य अमेरिका का अनुभव लेने से रोकती हैं।

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