अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी देश को पूर्वी एशिया में प्रमुख शक्ति बनाने और अमेरिकी प्रभाव को कम करके विश्व स्तर पर अहम शक्ति के रूप में उभरने के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए प्रयास जारी रखेगी।
चिनफिंग (69) ने इस हफ्ते ही चीन के शीर्ष नेता के तौर पर अपना तीसरा कार्यकाल शुरू किया है।
वार्षिक खुफिया खतरा आकलन रिपोर्ट के मुताबिक, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) स्वशासित ताइवान द्वीप पर एकीकरण के वास्ते दबाव बनाने, अमेरिकी प्रभाव को कम करने, अमेरिका और उसके साझेदारों के बीच गलतफहमियां पैदा करने और अपनी सत्तावादी व्यवस्था का पक्ष लेने वाले कुछ मानदंडों पर काम करना जारी रखेगी।
बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके साथ ही चीन के नेता अपने हितों के अनुसार अमेरिका के साथ तनाव कम करने की भी कोशिश करेंगे।
राष्ट्रीय खुफिया विभाग के निदेशक एवरिल डी. हैन्स खतरा आकलन प्रस्तुत करने के लिए सीनेट की एक समिति के सामने पेश हुए। उन्होंने कहा कि चीन का मानना है कि वह अपने क्षेत्र में हावी होने के अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है और अपनी वैश्विक पहुंच का विस्तार अमेरिकी ताकत और प्रभाव की कीमत पर ही कर सकता है।
‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ अखबार ने हैन्स के हवाले से कहा, “ चीन दुनिया भर में अमेरिका को आर्थिक, तकनीकी, राजनीतिक और सैन्य रूप से तेजी से चुनौती दे रहा है और यह हमारी एकमात्र प्राथमिकता है।”
अमेरिका में हर साल राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष चुनौतियों से संबंधित खतरा आकलन रिपोर्ट जारी होती है।
दैनिक समाचार पत्र ने कहा कि रिपोर्ट में हर साल कुछ पहलू मुश्किल से ही बदले जाते हैं लेकिन चीन से संबंधित खंड में विस्तार हुआ है जो बाइडन प्रशासन के दौरान चीन पर खुफिया एजेंसियों की खास तवज्जो को दिखाता है।
अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिकी रिपोर्ट तथ्यों को स्पष्ट रूप से गलत तरीके से पेश करती है और चीन को बदनाम करती है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन को अपने लिए सबसे अहम भू-राजनीतिक चुनौती और सबसे गंभीर प्रतियोगी मानता है और हर तरह से चीन को रोकना और दबाना चाहता है।
प्रवक्ता ने कहा कि चीन और अमेरिका के रिश्तों में यही तनाव का मूल कारण है।
अमेरिकी रिपोर्ट कहती है कि यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर वैश्विक प्रतिक्रिया के बावजूद, चीन अमेरिका को चुनौती देने की कोशिश में रूस के साथ अपने राजनयिक, रक्षा, आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग को जारी रखेगा।
रिपोर्ट में दक्षिण चीन सागर को लेकर कहा गया है कि चीन क्षेत्र में हवाई, नौसैनिक, तट रक्षक आदि बलों का अधिक उपयोग जारी रखेगा ताकि प्रतिद्वंद्वी देशों को डराने और यह संकेत देने की कोशिश की जा सके कि विवादित क्षेत्रों पर उसका प्रभावी नियंत्रण है।