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सीमा विवाद सुलझाने के लिए चीन के गंभीरता से भारत से संपर्क करने के ‘साक्ष्य कम’ : US

बाइडन प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए अमेरिका दोनों देशों के बीच समझौते और सीधी बातचीत के जरिए समाधान का समर्थन करता है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका को हालांकि इस बात के “कम साक्ष्य” दिखे कि चीन इन वार्ताओं को सही मंशा और गंभीरता से ले रहा है।
पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीत तीन साल से गतिरोध कायम है। भारत ने कहा है कि चीन के साथ उसके द्विपक्षीय संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं है।

दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘चीन के साथ भारत के सीमा विवाद पर हमारा रुख पहले जैसा ही है। हम दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत के जरिए सीमा विवाद के समाधान का समर्थन करते हैं।’’
लू ने एक सवाल के जवाब में कहा, “इसके बावजूद हमें इस बात के बेहद कम संकेत मिले हैं कि चीन सरकार सही मंशा से इन वार्ताओं को गंभीरता से ले रही है। हम जो देखते हैं वह इसके विपरीत है। हम नियमित रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर होने वाली उकसावे की घटनाओं को देख रहे हैं।”

विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत अपने उत्तरी पड़ोसी की चुनौती का सामना करते हुए भारत के साथ अमेरिका के खड़े रहने पर भरोसा कर सकता है।
उन्होंने कहा, “हमने गलवान संकट के दौरान 2020 में उस संकल्प को दर्शाया और हम भारत के साथ सूचना साझा करने के अलावा सैन्य उपकरणों एवं अभ्यासों पर भी सहयोग के अवसर तलाशते रहे हैं और यह आने वाले वर्षों में और बढ़ेगा।”
एक शीर्ष अमेरिकी विचारक संस्था (थिंक-टैंक) ‘सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी’ ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत-चीन सीमा शत्रुता की बढ़ती आशंका का अमेरिका और इसकी हिंद-प्रशांत रणनीति पर प्रभाव पड़ेगा।

रिपोर्ट में कहा गया कि जब अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका और क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिये भारत-अमेरिका सहयोग को अधिकतम करने पर विचार करता है तब क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर, अमेरिकी नीति निर्माताओं को बारीकी से निगरानी करनी चाहिए और भविष्य में भारत-चीन सीमा संकट पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहना चाहिए। रिपोर्ट राष्ट्रपति की उप सहायक और एनएससी के लिये 2017 से 2021 तक वरिष्ठ निदेशक की भूमिका निभा चुकीं लिसा कर्टिस और वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन ने लिखी है।

रिपोर्ट ने बाइडन प्रशासन से सिफारिश की कि भारत के साथ सीमा पर चीनी आक्रमण को रोकने और उसका जवाब देने में मदद करने के लिए, अमेरिका को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्य अमेरिकी सहयोगियों और भागीदारों के खिलाफ बीजिंग की मुखरता के साथ चीन के साथ भारतीय क्षेत्रीय विवादों को उठाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी सभी दस्तावेजों और भाषणों में परिलक्षित हो।

इसमें कहा गया, “भारत को परिष्कृत सैन्य तकनीक की पेशकश करें जिसकी उसे अपनी सीमाओं की रक्षा करने और सैन्य उपकरणों के सह-उत्पादन और सह-विकास की शुरुआत करने के लिये आवश्यकता है। भारत को उसकी समुद्री और नौसैनिक क्षमता को मजबूत करने में सहायता करें, और एलएसी के साथ चीनी योजनाओं और इरादों के आकलन को संरेखित करने के लिए भारत के साथ संयुक्त खुफिया समीक्षा करें तथा भविष्य में भारत-चीन संघर्ष की स्थिति में आकस्मिक योजना पर भारतीय अधिकारियों के साथ समन्वय बढ़ाएं।

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