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Iran Presidential Election: कट्टरवाद पर सुधारवाद हुआ हावी, ईरान में कैसे हो गया बड़ा उलटफेर

ईरान में पिछले महीने हेलीकॉप्टर दुर्घटना में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के मारे जाने के बाद देश में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए। कट्टरपंथी परमाणु वार्ताकार सईद जलीली और सुधारवादी मसूद पजशकियान के बीच हुए मुकाबले में हार्ट सर्जन मसूद पेज़ेशकियान  ने जीत हासिल कर ली है। पजशकियान देश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने इस्लामिक गणराज्य में प्रतिबंधों और विरोध प्रदर्शनों के दौर के बाद पश्चिम के साथ जुड़ने और देश के अनिवार्य हेडस्कार्फ़ कानून के प्रवर्तन में ढील देने का वादा करके जीत हासिल की। पजशकियान के प्रतिद्वंद्वी कट्टरपंथी सईद जलीली चुनावी मुकाबले में हार गए थे। ईरान के चुनाव प्राधिकरण के अनुसार, पेज़ेशकियान को 17 मिलियन से अधिक वोट मिले, जबकि जलीली को चुनाव में 13 मिलियन से अधिक वोट मिले। पूरे चुनाव में लगभग 30 मिलियन वोट पड़े। 

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इससे पहले 28 जून को मतदान के शुरुआती दौर में किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट नहीं मिले जिसके कारण दोबारा मतदान कराए जा रहे हैं। मतदाताओं को कट्टरपंथी पूर्व परमाणु वार्ताकार सईद जलीली और हार्ट सर्जन तथा लंबे समय से संसद सदस्य रहे मसूद पजशकियान के बीच चुनाव करना है। 28 जून को हुए मतदान में उदारवादी नेता मसूद पजशकियान ने 10.4 मिलियन यानी 42 फीसद वोट हासिल किए हैं। वहीं कट्टरपंथी नेता सईद जलीली को महज 9.4 मिलियन यानी 38.6 फीसद वोट ही मिले थे। 

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ईरानी मीडिया ईरान वायर के मुताबिक लोग पेजेशकियन को रिफॉर्मिस्ट के तौर पर देखता है। उन्हें पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी का करीबी माना जाता है। पश्चमी देशों संग बेहतर रिश्ता बनाने के हिमायती भी हैं। अपने पूरे अभियान के दौरान, पेज़ेशकियान ने ईरान की शिया धर्मतंत्र में किसी भी बड़े बदलाव का वादा करने से परहेज किया। उन्होंने लगातार सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को राज्य से संबंधित सभी मामलों में अंतिम प्राधिकारी के रूप में मान्यता दी है। हालाँकि, पेज़ेशकियान के मामूली उद्देश्यों को ईरानी सरकार से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जो बड़े पैमाने पर कट्टरपंथियों द्वारा नियंत्रित रहती है। 

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